किसान संसद कर रही काम, देश की संसद ठप्प

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December 21, 2024

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किसान संसद कर रही काम, देश की संसद ठप्प

-दिल्ली आते ही ममता का खेला होबे शुरू, विपक्ष हो रहा एकजुट -ममता की हुंकार,- 2024 का चुनाव ’देश बनाम मोदी’, पूरे देश में खेला होगा -राकेश टिकैत का वार- यूपी से होकर गुजरेगा संसद का रास्ता, भाजपा का होगा विरोध

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश में एक साथ दो-दो संसद चल रही है। एक देश की संसद तो दूसरी  जंतर-मंतर पर किसानों की संसद। देश की संसद देशवासियों के लिए तो किसानों की संसद कृषि बिलों के विरोध में लगातार जारी है। हालांकि इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि किसान संसद लगातार काम कर रही है और अभी तक तीन कृषि बिलों को निरस्त करने से लेकर कई बिल भी पास कर चुकी है। वहीं देश की संसद रोजाना की नोकझोंक के चलते अकसर ठप्प ही रही है। देश की ससंद लगातार विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ रही है और 9 दिन में सिर्फ 3 बिल ही पास कर पाई है।
                           वहीं केंद्र से नाराज पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भी दिल्ली पंहुच चुकी है। और अपने ऐलान के मुताबिक उन्होने दिल्ली आते ही खेला होबे शुरू कर दिया है। ममता ने हुंकार भरते हुए कहा कि 2024 का लोकसभा का चुनाव देश बनाम मोदी होगा और पूरे देश में खेला होगा। वही भाकियू के महासचिव राकेश टिकैत ने भी सरकार पर वार करते हुए कहा कि अगले संसद का रास्ता यूपी से होकर गुजरेगा और अगर सरकार नही मानी तो उसका हर जगह विरोध होगा। हालांकि कांग्रेस भी संसद सत्र के पहले ही दिन से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोले बैठी है और राहुल गांधी किसानों को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे है। लेकिन ममता के दिल्ली आते ही कई विपक्षी दल केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे है और मोर्चाबंदी कर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
                          वही दूसरी तरफ अब विपक्ष का जवाब देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोर्चा संभाल लिया है। उन्होने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इस समय कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है जिसकारण कांग्रेस न संसद चलने दे रही है और न चर्चा के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस खुद तो बिना बात का बवाल मचा रही है, साथ ही अन्य विपक्षी दलों को भी हंगामे के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होने भाजपा सांसदों से कहा कि वह जनता में कांग्रेस की पोल खोलें और उसकी असलियत बताये।
                        राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री अब अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे है तभी वह पेगासस से विपक्षी नेताओं की जासूसी व फोन टेप करा रहे हैं। हालांकि पेगासस मामले में ममता ने भी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की है। उन्होने कहा कि सरकार किसानों व पेगासस मामले में अड़ियल रूख छोड़े ओर संसद में खुलकर चर्चा कराये। वहीं अब 12 विपक्षी दल कांग्रेस व एनसीपी के साथ मिलकर आगे की रणनीति बना रहे है और संसद के दोनो सदनों में कार्यस्थगन प्रस्ताव देने वाले है ताकि संसद में काम नही होने पर केंद्र सरकार के खिलाफ ठीकरा फोड़ा जा सके।
                        हालांकि इसमे ंकोई अतिशोक्ति नही की कुछ तथाकथित किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले 8 महीने से बैठे है और अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे है। सरकार भी इस मामले को अभी तौल रही है। हालांकि सरकार का मानना है कि इस प्रदर्शन में पूरे देश के किसान शामिल नही है जिसकारण सरकार इन लोगों से खुलकर बात नही कर रही है। हालांकि सरकार अभी भी अपने दांवों पर अडिग है कि ये तीनों कृषि बिल सिर्फ और सिर्फ किसानों के हित में है और किसानों को बिचोलियों व दलालों से छुटकारा दिलाने वाले है। जिसका विरोध सिर्फ बिचोलियों व दलालों सह पर उक्त तथाकथित किसान कर रहे है जो किसी भी तरह उचित नही है। वही उलटा किसान नेता ये आरोप लगा रहे है कि किसानों की जमीन को इन 3 बिलों के माध्यम से व्यापारी व धनी घराने कब्जा लेगे।
                       बात करे आज के हालात की तो जंतर-मंतर पर चल रही किसान संसद लगातार काम कर रही है। किसान संसद ने आवश्यक वस्तु विधेयक 2020 को निरस्त कर दिया है और सरकार से इस विधेयक को रद्द करने की मांग दोहराई है। किसान संसद के अलग-अलग सत्रों में अब तक फसलों के उचित दाम न मिलने, कालाबाजारी, जमाखोरी, पूंजीवाद, बाजारवाद, कीटनाशक दवाओं और खाद का महंगा होना, नए कृषि कानूनों के मुद्दे को पूरे जोर शोर से उठाया गया है। संसद के अंतिम सत्र में बांबे हाईकोर्ट के पूर्व जज बी जी कोलसे पाटिल ने कहा कि ये तीनो नए कृषि बिल रद्द होने चाहिए। सरकार एपीएमसी खत्म करना चाहती है। लोगों का राशन खत्म करने की कोशिश की जा रही है। किसानों ने संसद में एक स्वर में कहा कि हमने अपना काम कर दिया है। अब सरकार को देखना है कि हमारी संसद में पास बिल वह पास करती है या नही। किसानों कहा कि जब तक किसान के पास फसल होती है तब तक उसके दाम जमीन छूते है और किसान की फसल बिकते ही वही दाम आसमान छूने लगते है आखिर कब तक नेता व पूंजीपतियों के हाथों किसानों के हक बेचते रहेंगे।
                      दूसरी तरफ लगातार 9वें दिन भी संसद के दोनो सदनों में कार्यवाही ठप्प रही। अभी तक सरकार लाख कोशिश के बावजूद भी विपक्ष को नही मना पाई है जिसकारण देश की जनता का पैसा व्यर्थ ही जा रहा है। हालांकि अभी तक सरकार सिर्फ तीन बिल ही लोकसभा से पास करा पाई है। वहीं कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि संसद में गतिरोध खत्म करना सरकार का काम हैं वह विपक्ष को सुनने को तैयार नही है। अगर सरकार संसद चलाने को गंभीर है तो बात करें।
                      अब देखना है कि सरकार व विपक्ष के बीच कोई तालमेल बन पाता है या नही लेकिन जनता की मेहनत की कमाई नेता किस तरह से बर्बाद कर रहे है यह देश की जनता जरूर देख रही है। संसद में जो हो रहा है वह सब हमारे देश के भविष्य के कर्णधारों के दिमाग को कचोट् रहा है कि क्या यही है हमारे आदर्श जिन्हे हम अपने देश की सुरक्षा व उन्नति के लिए चुनते है। यह एक यक्ष प्रश्न बनकर सामने आ रहा है और युवाओं के मन में बार-बार बस यही सवाल उठ रहा है। प्रधानमंत्री को इस संबंध में कुछ करना चाहिए ताकि देश की संसद में सभ्य व्यवहार का प्रचलन हो सके।

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