
शिव कुमार यादव/- माँ की ममता, उसके प्रेम व त्याग को हालाँकि किसी दिन व समय में नहीं बाँधा जा सकता लेकिन फिर भी जन्म देने वाली माता को याद करने एवं उसके प्रति आभार व्यक्त के लिए आज की पीढ़ी ‘मदर्स डे’ को एक यादगार दिन के रूप में मनाती है। मई माह के दूसरे रविवार को पूरे देश व दुनिया में ‘मदर्स डे’ अथवा मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली व आसापास के निवासी इस्कॉन द्वारका दिल्ली श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर में मदर्स डे के दिन अपनी माँ के प्रति आभार व्यक्त करेंगे। उनकी लंबी उम्र के लिए मंदिर में आकर विशेष आरती कराएँगे और उनके प्रति अपने कर्तव्य को निभाने के लिए संकल्प लेंगे।

मंदिर आते ही जब हम भगवान श्रीकृष्ण की छवि को देखते हैं तो हमें बरबस ही उनकी माँ यशोदा की याद आ जाती है और उनसे जुड़ी श्रीकृष्ण की अनेक बाल लीलाएँ स्मरण हो आती हैं। भगवान कृष्ण के प्रति माँ यशोदा का प्रेम अद्भुत और अतुलनीय है। मैया यशोदा का लाड़-दुलार से अपने लाला का पालन-पोषण, उनके लिए दही-मक्खन निकालना और माखन चुराने की शिकायत मिलने पर उनको ऊखल से बाँधने की लीलाओं को याद करने की सुखद अनुभूति आज हर माँ के लिए अविस्मरणीय है।
आइए हम भी आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में से कुछ समय निकाल कर वैसे ही लाड़-दुलार और प्यार को अपने बच्चों के साथ साझा करें, जिसे वे मोबाइल और टीवी स्क्रीन में ढूँढ़ते हैं। इस्कॉन द्वारका का हमेशा यह प्रयास रहा है कि हेल्पलाइन व काउंसलिंग के जरीए वे उन नौकरीपेशा माता-पिता को उचित मार्गदर्शन दे सके कि बच्चों की परवरिश उनकी छत्र-छाया के तले हों, जिससे बच्चों का संपूर्ण विकास होगा। नैतिक विकास के साथ-साथ समाज और रिश्तों के प्रति जुड़ाव और भक्ति भाव बढ़ेगा। यदि संभव हो तो बच्चों को मंदिर के साप्ताहिक व मासिक दर्शन कराने में भी माता-पिता को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
तो मदर्स डे पर बच्चे मंदिर में आएँ और अपनी प्रिय माँ की लंबी उम्र व अपार खुशियों के लिए विशेष आरती कराएँ व रुक्मिणी मैया से आशीर्वाद प्राप्त करें।
समाप्त
वंदना गुप्ता
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