नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/हरियाणा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- हरियाणा में भ्रष्टाचार पर लगातार चोट कर रहे सोशल मिडिया से खौफ खाया प्रशासन अब इस पर लगाम लगाने के लिए तानाशाही पर उतर आया है। हरियाणा के 6 जिलों में सोशल मिडिया पर लगे बैन को लेकर अब सोशल मिडिया ग्रुपों में इसकी आवाज उठने लगी है और आम आदमी भी अब सोशल मिडिया को अभिव्यक्ति की आजादी मान कर इससे बैन हटाने की बात कर रहा है और अधिकारियों की कार्यवाही को असवैंधानिक मान रहा है। लेकिन फिर भी अधिकारी अपने निर्णय से टस से मस होते नही दिखाई दे रहे है।
हरियाणा में कश्मीर की तर्ज पर अब अभिव्यक्ति की आजादी पर अधिकारी कुठाराघात कर रहे है। हालांकि कश्मीर में सोशल मिडिया पर बैन इसलिए उचित माना जा रहा है कि वहां सोशल मिडिया को देश के विरूध उपयोग में लाया जाता है लेकिन हरियाणा में सोशल मिडिया अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है जिसकारण अधिकारी तानाशाह रवैया अपनाते हुए सोशल मिडिया पर बैन लगा रहे है। सोशल मिडिया ग्रुपों ने इसे असवैधानिक कदम करार देते हुए सरकार से सोशल मिडिया पर बैन की कार्यवाही को तुरंत हटाने की अपील की है। हरियाणा में 6 उपायुक्तों ने सोशल मीडिया चैनलस पर बैन लगा दिया। उनके अनुसार ये गैरकानूनी है कहीं रजिस्टर नहीं है। अब उन्हें कौन बताए कि देश में सोशल मिडिया चैनलस को लेकर अभी कोई कानून या नियम कायदे नही बने है। वहीं बड़े चैनलों और अखबारों के सोशल मीडिया भी अभी तक कहीं रजिस्टर नहीं है। तो आप कैसे अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगा सकते हैं। आम व्यक्ति भी कुछ फिल्माए तो उसे भी रोका नहीं जा सकता। खबरों के अनुसार दो महीनों के भीतर हरियाणा के छह जिलों में मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की ये शुरुआत की गई है। सबसे पहले चरखी-दादरी के डीसी ने ये कदम उठाया उसके बाद सोनीपत, कैथल, नारनौल, भिवानी और अब आखरी में सीएम सिटी करनाल के डीसी ने ये कदम उठाया है।
उनका कहना है कि अगर कोई फेक न्यूज फैला रहा है तो आप मामला दर्ज करवाकर उसके खिलाफ कार्यवाही कर सकते हैं। आप सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाकर क्या साबित करना चाहते हैं? दरअसल सोशल मीडिया किसी भी घटना को लाइव कर देता है जिसके बाद जवाब देने के लिए कुछ नहीं बचता अधिकारियों के पास कई बार। ऐसे में राह से कांटा हटाने का सबसे आसान रास्ता सोशल मीडिया पर बैन के जरिये खोजा जा रहा है।
उधर अधिकारियों की माने तो ये आम आदमी की मानसिक हालात पर गलत असर डाल रही है। लेकिन टीवी पर चीख चीख कर होने वाली डिबेट्स ने कभी आम आदमी की मानसिक हालात पर असर नहीं डाला। कोरोना वायरस के बहाने अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने की ये शुरुआत है। इस शुरुआत से भी खतरनाक है इस तरह के बैन पर चुप्पी। लोकल स्तर पर भारत में सोशल मीडिया के पत्रकारों को सताया जा रहा है। सिर्फ हरियाणा की ये कहानी नहीं है। नियम न होने से रोजाना नए पत्रकार भी पैदा हो रहे हैं वो भी गलत है। लेकिन हरियाणा में अखबार और टीवी के पत्रकार इसलिए चुप हैं क्योंकि वो सोशल मीडिया के खिलाफ पहले से ही आवाज उठाए थे। चरखी दादरी जहाँ से बैन की शुरुआत की गई है वहां के पत्रकारों ने कई बार ऐसे बयान दिए कि वो सोशल मीडिया वालों को पत्रकार नहीं मानते। जिस भी प्रेस वार्ता में ये पत्रकार जाएंगे उसका हिस्सा टीवी और प्रिंट मीडिया नहीं होगा। क्योकिं सोशल मीडिया के तेजी से बढ़ने से सभी परेशान हैं।
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