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    द्वारका बस डिपों में सोशल डिस्टेंसिंग का नही हो रहा पालन,

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना महामारी के संकट में लाॅक डाउन दिल्ली से रोजाना हजारों प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए पलायन कर रहे है। जिसे देखते हुए सरकार ने उन्हे भेजने लिए सभी जिलेवार बस डिपुओं में प्रबंध किये है। जहां जाने वाले प्रवासी मजदूरों की थर्मल जांच से लेकर स्वास्थ्य जांच तक की जाती है। साथ कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना होता है लेकिन द्वारका के सैक्टर-2 स्थित दिल्ली परिवहन बस डिपों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही हो रहा है। लोगों का आरोप है कि अधिकारी व सुरक्षा कर्मी मजदूरों की भारी भीड़ को देखते हुए अब किसी भी नियम पर ध्यान नही दे रहे हैं।
                                  जिला दक्षिण-पश्चिम के एडीएम चंद्रशेखर के नेतृत्व में प्रवासी मजदूरों को उनके घरों को भेजने का काम हो रहा है। पिछले 10 दिन से यह काम चल रहा है हालांकि शुरू-शुरू में डिपों में मजदूरों की स्क्रीनिंग, थर्मल मैपिंग व स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ उनके खाने का भी प्रशासन पूरा ध्यान रख रहा था। लेकिन पिछले दो दिन से डिपों में काफी अफरा-तफरी का मामला सामने आ रहा है। इस संबंध में असहाय मजदूरों का कहना है कि प्रशासन अब सिर्फ उन्हे किसी भी तरह यहां से भगाने पर तुला है। डिपों कैंप में हर तरफ अव्यवस्था व अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। जिसकारण किसको जाना है और किसकों नही यह पता ही नही चल पा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग नाम की कोई चीज ही नही है और न ही कोई जांच की जा रही है। जिसकारण अब लोगों को बिमारी का भी डर सताने लगा है। वहीं एक अधिकारी ने बताया कि लोग समझने को ही तैयार नही है कि वह किस बिमारी से जूझ रहे हैं। उन्हे तो बस किसी भी तरह घर जाने की जल्दी है। हालांकि इस मामले को देखने के लिए नजफगढ़ व द्वारका एसडीएम भी लगे हुए है। लेकिन इस पर कोई बोलने को तैयार नही है। एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि लोगों को सुरक्षित घर भेजने के लिए कैंप में सभी तरह के इंतजाम किये गये है। मजदूरों की स्वास्थ्य जांच से लेकर खाने तक का इंतजाम किया गया है। लेकिन मजदूर अपने पंजीकरण के हिसाब नही आ रहे हैं। जिनकी जाने की तिथि नही है वो भी यहां आकर डेरा जमाये बैठे है। ऐसे में अव्यवस्था फैलना लाजिमी है। हालांकि प्रशासन ने एनवाइके वालंटियर, सिविल डिफेंस, एनसीसी कैडेट व होम गाड्र्स की भी सेवाऐं ली है लेकिन 3 से 4 हजार लोगों को संभालना काफी मुश्किल काम हो रहा है। फिर सभी को सुरिक्षत रहकर भी यह काम करना है। जिसकारण थोड़ी अव्यवस्था बन जाती है। हालांकि प्रशासन कैंप में सभी सुविधाये होने का दावा कर रहा है और अधिकारी लोगों को सुरक्षित भेजने की बात भी कह रहे है लेकिन मौके पर परिस्थितियां कुछ और ही बयां कर रही है।

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