भारत बंद को लेकर राजनीतिक पार्टियां दिख रही ज्यादा सक्रिय, किसान दुविधा में

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

March 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930
31  
March 19, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

भारत बंद को लेकर राजनीतिक पार्टियां दिख रही ज्यादा सक्रिय, किसान दुविधा में

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को लेकर राजनीतिक पार्टियों सक्रियता ने किसानों को दुविधा में डाल दिया है। एक तरफ अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे किसान अब अपने आंदोलन को राजनीतिक रूप लेने से बचाने के लिए भी चिंतन कर रहे है। किसानों का कहना है कि उन्हे सरकार से सिर्फ अपने हक चाहिए न कि तख्तो ताज। साथ ही किसान राजनीतिक पार्टियों की सक्रियता पर भी नजदीक से नजर बनाये हुए है। भारतबंद को लेकर कांग्रेस, डीएमके, आप, बसपा और टीआरएस ने किसानों को अपना समर्थन देने का एलान किया है। अब तक 11 से ज्यादा विपक्षी दल और दस ट्रेड यूनियन भारत बंद का समर्थन कर चुकी हैं।
इस बीच, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने केंद्र सरकार को चेताया है कि अगर गतिरोध जारी रहता है तो आंदोलन दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा, पूरे देश के लोग किसानों के समर्थन में उतरेंगे।


बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती ने किसान यूनियनों द्वारा 8 दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट किया, श्कृषि से संबंधित तीन नए कानूनों की वापसी को लेकर पूरे देशभर में किसान आंदोलित हैं व उनके संगठनों ने दिनांक 8 दिसम्बर को भारत बंद का जो एलान किया है, बीएसपी उसका समर्थन करती है। साथ ही, केंद्र से किसानों की मांगों को मानने की भी पुनः अपील।

इस दिन क्या-क्या रहेगा बंद
वहीं, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, मंगलवार को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। दोपहर तीन बजे तक चक्का जाम रहेगा। दूध, फल व सब्जी पर रोक रहेगी। शादी व इमरजेंसी सेवाओं पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।
विपक्षी दलों ने रविवार शाम संयुक्त बयान जारी कर कहा, संसद में बिना वोटिंग व चर्चा के जल्दबाजी में पास कराए गए कृषि कानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ये हमारे किसानों व कृषि को तबाह करने वाले हैं।
केंद्र सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए हमारे अन्नदाता किसानों की मांगें माननी चाहिए। बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, गुपकार अलायंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व अन्य के हस्ताक्षर हैं।
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, किसानों के समर्थन में कांग्रेस सभी जिला व राज्य मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेगी और भारत बंद की सफलता सुनिश्चित करेगी। डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा, कानूनों को वापस लेने की किसानों की मांग एकदम जायज है। अभिनेता कमल हासन की मक्कल निधि मयम ने भी किसानों का समर्थन किया है।
आप नेता गोपाल राय ने कहा, पार्टी के सभी कार्यकर्ता और वालियंटर्स किसानों के समर्थन में बंद में हिस्सा लेंगे। शनिवार को वाम दलों, टीएमसी, राजद और दस ट्रेड यूनियनों ने भी भारत बंद का समर्थन करने की घोषणा की थी।

तोमर ने जूनियर मंत्रियों के साथ किया मंथन
किसानों के साथ शनिवार को पांचवें दौर की वार्ता भी असफल रहने के बाद कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को राज्यमंत्री कैलाश चैधरी व पुरुषोत्तम रुपाला के साथ बैठक की। अब किसानों के साथ अगले दौर की बातचीत नौ नवंबर को होनी है।

कृषि कानून वापस नहीं होंगे- चौधरी
तीनों कृषि कानून किसानों के हक में है और इन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। अगर जरूरी हुआ तो सरकार किसानों की कुछ मांगों को मानते हुए इनमें संशोधन कर सकती है। देश के असली किसान कानूनों से चिंतित नहीं है और अपने खेतों में काम कर रहे हैं। कुछ दलों ने राजनीतिक फायदे के लिए आंदोलन कर रहे लोगों को लालच दिया है। लिहाजा उन्हें ऐसे लोगों के लालच में नहीं आना चाहिए।
कैलाश चैधरी, कृषि राज्यमंत्री

विजेंद्र ने दी खेल रत्न अवार्ड लौटाने की चेतावनी
ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने कहा, अगर कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो वह अपना राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड लौटा देंगे। विजेंद्र रविवार को सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों का समर्थन करने पहुंचे थे। इस बीच, दो बार के एशियन खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पद्म श्री पहलवान करतार सिंह 30 दिग्गज खिलाडियों के अवार्ड वापस करने के लिए रविवार की शाम दिल्ली पहुंच गए।

भारत बंद के चलते 9 को करेंगे बात
सरकार की ओर से हमें वार्ता के लिए 8 तारीख दी गई थी, लेकिन उस दिन भारत बंद को तोड़ना हमें सही नहीं लगा। यह सरकार की मंशा नहीं थी। हमारी ओर से ही वार्ता के लिए 9 तारीख का समय दिया गया है।- बलदेव सिंह, किसान नेता

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox