
बांग्लादेश/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/ – हाल ही में बांग्लादेश में भड़के दंगों में करीब 200 लोग मारे गए थे। अब इस मामले में स्थिति सामान्य होती दिख रही है। बांग्लादेश में 11 दिनों के बाद रविवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गईं। हाल ही में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर छात्रों ने हिंसक प्रदर्शन किया था। इसके बाद सरकार ने 18 जुलाई को इंटरनेट बंद कर दिया था। अब इस मामले में बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। देश में इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा इसके छात्र विंग स्टूडेंट कैंप पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। आरोप है कि इन संगठनों ने छात्रों के प्रदर्शन को हाईजैक कर लिया था और अराजक तत्वों के प्रवेश के कारण दंगे हुए।

दंगों में सामने आया पाकिस्तान एंगल
बता दें कि हसीना सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर आईएसआई की मदद से दंगे भड़काने का आरोप लगाया है। इसके चलते संगठन पर पिछले चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जमात-ए-इस्लामी का एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने पाकिस्तान से अलग देश (यानी बांग्लादेश) के निर्माण का विरोध किया और 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में पाकिस्तानी सेना का समर्थन किया। इसके चलते बांग्लादेश में जमात को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा है। पाकिस्तान के साथ उनके संबंधों को लेकर हमेशा संदेह बना रहा है।
ISI के निर्देश पर जमात-ए-इस्लामी ने भड़काए दंगे
इन दंगों को देखते हुए सीधे तौर पर जमात-ए-इस्लामी पर आईएसआई के इशारे पर दंगे भड़काने का आरोप लगा है। यह संगठन भारत के विभाजन के पूर्व से ही सक्रिय रहा है। यह अभी भी भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में सक्रिय है। एक बांग्लादेशी अधिकारी ने कहा कि गठबंधन जमात पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक हताहत हुए हैं और संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। गठबंधन के नेता राशिद खान मेनन ने कहा कि हमने प्रतिबंध के लिए सर्वसम्मति से फैसला लिया है और अब सरकार को फैसला लेना है।
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