नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- चीन ने भारत के इस कदम को नियमों का उल्लंघन और भेदभावपूर्ण बताया है। चीन ने भारत के इस कदम को मुक्त व्यापार के खिलाफ भी बताया है। कोरोना वायरस के चलते विश्व बाजार में मची भारी उथल-पुथल के चलते भारत सरकार ने एफडीआई के नियमों को थोड़ा सख्त करते हुए विदेश से होने वाली निवेश के लिए सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया है। भारत सरकार के इस कदम से हालांकि कई विदेशी कंपनियों पर असर पडे़गा लेकिन चीन इससे पूरी तरह से से बौखला गया है। चीन ने भारत के इस कदम पर अपनी बौखलाहट दिखाते हुए कहा कि भारत का यह कदम न केवल डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन है बल्कि भेदभावपूर्ण है। चीन ने इसे मुक्त व्यापार के खिलाफ भी बताया है।
बता दें कि लॉकडाउन के चलते भारतीय कंपनियों के शेयरों में खासी गिरावट आयी है। जिन कंपनियों के शेयरों में गिरावट आयी है। उनमें भारत का बड़ा प्राइवेट बैंक एचडीएफसी भी शामिल है। बीते दिनों चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने इसका फायदा उठाते हुए एचडीएफसी में 1.75 करोड़ शेयर खरीद लिए हैं। इस सौदे से भारत सरकार सावधान हुई और उसने अब इस तरह की एफडीआई पर लगाम लगाने के लिए एफडीआई नियमों में कुछ सख्ती की है। इसके तहत अब चीन की सभी एफडीआई को निवेश से पहले भारत सरकार की अनुमति लेना जरूरी होगा। भारत के इस कदम से पेटीएम, जोमैटो, बिगबास्केट और ड्रीम 11 जैसी कंपनियों पर असर पड़ सकता है क्योंकि इन कंपनियों में चीन की कंपनियों का पैसा लगा हुआ है। वहीं दरअसल चीनी दूतावास ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत की तरफ से निवेश पर लगाए गए अतिरिक्त अवरोधक ॅज्व् के सिद्धांतों का उल्लंघन है। इसके साथ ही यह व्यापारिक निवेश में आम लिबरलाइजेशन के खिलाफ है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत इन पर फिर से विचार करेगा।
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