नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 16 दिनों से जारी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आंदोलन खत्म कर बातचीत का रास्ता अपनाने की बात कही है। कृषि मंत्री ने कहा, किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन खत्म करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।
मंत्री ने कहा, मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए। सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है। सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। आंदोलन से किसानों को भी परेशानी होती है, सर्दी का मौसम है, कोरोना का संकट है, जनता को भी आंदोलन से परेशानी हो रही है। इसलिए किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए और बातचीत से समस्या हल करने का प्रयास करना चाहिए।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका। हमने किसानों से बातचीत के जरिए उनकी समस्या का हल निकालना चाहते हैं। किसानों की हर चिंता पर बात की गई है। किसानों की हर चिंता को नोट किया गया है। पांच तारीख को हमने उनसे पूछा कि एमएसपी को सुदृढ़ बनाने के लिए क्या करना चाहिए, तो वो चुप हो गए। कुछ बोले ही नहीं। फिर ये फैसला हुआ कि दोबारा मीटिंग होगी।
कृषि मंत्री ने आगे कहा, छठे दौर की बातचीत में हमने अपनी ओर से किसानों को समाधान दे दिया। हमने एपीएमसी को सुदृढ़ करने के उपाय बता दिए। पराली के मुद्दे पर हमने उनसे उनके मुताबिक समाधान करने के लिए कहा। पराली पर कानून में संशोधन करने को तैयार हैं। बिजली के मुद्दे पर भी हमने पहली वाली व्यवस्था करने की बात कही। अब उन्होंने इस सब प्रस्ताव पर विचार किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया। मीडिया से जानकारी मिली कि किसानों ने हमारा प्रस्ताव खारिज कर दिया। उनकी तरफ से अभी बातचीत का कोई प्रस्ताव आया नहीं है, लेकिन जैसे ही प्रस्ताव आएगा, हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
कृषि मंत्री ने कहा, भारत सरकार के बहुत सोच समझकर कृषि कानून बनाया है। किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए बनाया गया है। पिछले 70 सालों से किसानों के साथ जो अन्याय हो रहा है, उसे दूर करने के लिए ये कानून बनाये गये हैं, लेकिन फिर भी सरकार किसानों- यूनियनों से बातचीत करके कानून में सुधार करने के लिए तैयार है।
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