
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/चंडीगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- इनेलो नेता अभय सिंह चैटाला ने प्रदेश में शराब की बिक्री को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा-जजपा की गठबंधन की शराब ठेकेदारों पर पूरी तरह से मेहरबान नजर आ रही है। उन्होने कहा कि जब मार्च में लाॅक डाउन आरंभ हुआ तब भी हरियाणा में शराब की बिक्री जारी थी। जो शौर मचने के कई दिनो बाद बंद हुए। वहीं सरकार ने 9 अपै्रल को शराब की फैक्ट्रियां चालू करने के आदेश दे दिये थे लेकिन जब सरकार इस मामले में घिरी तो कहा गया कि सेनेटाईजर के लिए एल्कोहल बनाने की बात कही गई है। जबकि आर्डर शराब बनाने के ही दिये गये थे। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार शराब ठेकेदारों के प्रति हमेशा मेहरबान रही हैं।
उन्होने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अप्रैल माह में तो शराब के ठेके नहीं खोल पाई परंतु शराब माफिया को अवैध शराब बेचने में पूरी छूट मिलती रही जिसके कई उदाहरण मीडिया में उजागर हुए हैं जिसमें करोड़ों रुपए का अवैध कारोबार हुआ तथा कानून की धज्जियां भी उड़ाई गई। इसका जीता जागता एक बड़ा उदाहरण फतेहाबाद जिले का है जिसमें लगभग एक लाख शराब की बोतलों का स्टॉक कम पाया गया जिससे स्पष्ट है कि ये सारी शराब अवैध रूप से शराब माफियाओं द्वारा बेची गई। यहां पर यह भी जगजाहिर है कि इस ठेकेदार के पारिवारिक, राजनैतिक संबंध सरकार में बैठे लोगों के साथ हैं। इसी प्रकार का एक गोरखधंधा सोनीपत जिले में भी हुआ है जहां लगभग दो लाख बोतलों का स्टॉक कम पाया गया। इस प्रकार की गड़बडियां लगभग सभी जिलों में हुई हैं। हैरत की बात है कि लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद है तो शराब के बड़े-बड़े घोटालों को कैसे अंजाम दिया गया? इनेलो नेता ने कहा कि सरकार में बैठे लोगों की सरपरस्ती के बिना संभव नहीं हो सकता। पता चला है कि विभाग द्वारा कमेटी बनाकर जांच बैठाई गई है जो केवल लीपापोती ही करेगी और असली सरगना बच जाएंगे। अगर ये जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी जैसे सीबीआई या न्यायिक जांच से करवाई जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है परंतु सरकार जो शराब माफियाओं के इशारे पर काम काम रही है, इस प्रकार की जांच कदाचित नहीं करवाएगी। अगर मुख्यमंत्री द्वारा निष्पक्ष जांच के आदेश नहीं दिए गए तो संदेह की सूई उनके इर्द-गिर्द भी घूमेगी। बेहतर होगा मुख्यमंत्री इस बारे में एक निष्पक्ष जांच कराए ताकि संदेह की सूई मुख्यमंत्री पर न आए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके क्योंकि ये बहुत गंभीर मामला है। लॉकडाउन के बावजूद इतना भारी स्टॉक खुदबुर्द हुआ तथा जिसमें एक्साइज ड्यूटी का नुकसान हुआ तथा कानून की धज्जियां भी उड़ाई गई।
उन्होंने कहा कि अब शराब के ठेके 6 मई से खोल दिए गए हैं लेकिन 6 से 19 मई तक उनकी लाइसेंस फीस में छूट दी गई और लॉकडाउन होने पर 5 मई तक की लाइसेंस फीस माफ की गई है। इन ठेकों की मियाद अब 6 मई, 2020 से 19 मई, 2021 तक रखी गई है जो कि एक वर्ष से करीब दो सप्ताह ज्यादा बनते हैं। इस प्रकार इन दो सप्ताह की लाइसेंस फीस में छूट देने का क्या औचित्य स्पष्ट नहीं होता जबकि इन ठेकों की बोली एक वर्ष के लिए की गई थी। सरकार शराब कारोबारियों को राहत देने में जुटी हुई है तथा आम आदमी पर अतिरिक्त करों का बोझ डालने पर तुली हुई है जिसमें मुख्य तौर पर रोडवेज के किरायों में वृद्धि, पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाना, फल-सब्जियों पर मार्केट फीस लगाना इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोकडॉउन की आड़ लेकर प्रदेश के किसानों, कर्मचारियों व छात्रों को लूटने का काम कर रही है तथा दूसरी ओर शराब ठेकेदारों व शराब माफिया पर मेहरबान है।
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