नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सरकार महिलाओं के लिए विवाह की उम्र बढ़ाने पर विचार कर रही है और इसके लिए एक कार्यबल का भी गठन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में भी इस विषय पर बात की थी। हालांकि, महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने के खिलाफ 100 से ज्यादा नागरिक संस्थाओं ने सरकार से आग्रह किया है। उन्होंने दावा किया है कि यह लैंगिक समानता, महिलाओं के अधिकारों या लड़कियों के सशक्तिकरण को बढ़ावा नहीं देगा और मांओं एवं शिशुओं की सेहत को सुधारने में खास मददगार नहीं होगा।
इन संस्थाओं ने कहा कि यह बहुत ही सतही समझ है कि महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए विवाह की उम्र 21 साल करना लैंगिक समानता का प्रतीक है लेकिन इस विचार को उदारवादी खेमे में बड़ी आशा के साथ देखा जाता है। करीब 100 नागरिक संस्थाओं और 2,500 युवा आवाजों की ओर से समर्थित इस बयान में कहा गया कि अगर उम्र के लिहाज से कानूनी समानता को लागू करने की बात है तो इसे महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए 18 साल करने पर विचार करना ज्यादा सार्थक होगा, जैसा कि विश्व के ज्यादातर हिस्सों में है।
इन्होंने कहा कि कानून के जरिए विवाह की उम्र बढ़ाना जल्दी शादी को रोकने की बजाय इसे अपराधिक बनाएगा। नागरिक संस्थाओं ने अनुशंसा की है कि विवाह की उम्र बढ़ाने की बजाय, सरकार को स्कूली व्यवस्था और रोजगार के अवसरों को मजबूत करने पर विचार करना चाहिए।
बता दें कि बाल विवाह अधिनियम के मुताबिक भारत में किसी महिला की शादी करने की न्यूनतम उम्र 18 साल होनी चाहिए। लेकिन सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने पर विचार कर रही है। इसके लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है।
नागरिक अधिकारों से जुड़े संगठनों ने संयुक्त बयान में पूछा है कि शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाना एक कदम आगे रखना कैसे है जब यह कई और महिलाओं को वैवाहिक स्थिति और अधिकार देने से इनकार करता है। उन्होंने यह भी पूछा है कि यह उन परिवारों को अपराधी मानने में कैसे मदद करेगा, जिनके जिंदा रहने की जरूरतें एवं असुरक्षा न सिर्फ उन्हें जल्दी शादी कराने पर बल्कि जल्दी ही कार्यस्थल पर प्रवेश करने के लिए भी मजबूर करती हैं।
नागरिक संस्थाओं ने अनुशंसा की है कि विवाह की उम्र बढ़ाने के बजाय सरकार को स्कूली व्यवस्था और रोजगार के अवसरों को मजबूत करने पर विचार करना चाहिए।
More Stories
कंपकपी क्यों होती है? ठंड में शरीर का यह स्वाभाविक प्रतिक्रिया समझें
मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद वाले बयान से सहमत नहीं आरएसएस..!
AAP और कांग्रेस के बीच बढ़ी तकरार, दिल्ली चुनाव से पहले आरोप-प्रत्यारोप तेज
दिल्ली देहात का नरेला इलाका बनेगा एजुकेशन हब, सरकार ने 7 नए विश्वविद्यालयों को की जमीन आवंटित
आरजेएस पीबीएच का “सकारात्मक भारत उदय” आंदोलन: प्रवासी भारतीयों के साथ 2025 की शुरुआत
दिल्ली में 6 लेन फ्लाईओवर का शुभारंभ, आम आदमी पार्टी की सरकार की नई पहल