कोरोना महामारी के दौरान चाइल्ड पोर्नोग्राफी में हुआ इजाफा, विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता

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कोरोना महामारी के दौरान चाइल्ड पोर्नोग्राफी में हुआ इजाफा, विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/तमिलनाडु/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना महामारी में पोर्नोग्राफी के मामलों में काफी इजाफा हुआ है। सरकारी आंकड़ों की माने तो लोगों ने खाली समय में पोर्नोग्राफी मे काफी दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि देश में पोर्नोग्राफी पूरी तरह से प्रतिबंधित है लेकिन फिर भी लोग खुलेआम पोर्न साइटों को अपलोड कर रहे है। यहां तक कि कोरोना महामारी में आई मंदी व रोजी रोटी की मारामारी में बच्चियों की पोर्न फिल्मे बनाई जा रही है। हालांकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना या शेयर करना भारत में अपराध है। इसमें पांच साल की जेल और अधिकतम 10 लाख रुपए जुर्माने की सजा हो सकती है। और पुलिस विभाग पी हंट के नाम से अभियान छेड़े हुए है और अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है।
                     यहां बता दें कि डार्क नेट की नियमित निगरानी के दौरान, केरल पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने एक नाबालिग लड़की की चैंकाने वाली तस्वीर देखी थी। तीन महीने की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के बाद इसका पता लगाया गया था। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर, उपकरण और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के साथ-साथ आईपी एड्रेस से मदद मिली थी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है। पुलिस ने कहा कि नाबालिग लड़की और वह घर, जहां इस आपत्तिजनक वीडियो को शूट किया गया था, को राज्य के पुलिस मुख्यालय से महज तीन किमी दूर एक अपमार्केट कॉलोनी में होने का पता चला। इस पूरे प्रकरण का अपराधी लड़की का चाचा निकला।
               मलप्पुरम में, एक अन्य युवक को पकड़ा गया जो आठ साल की लड़की को खिलौने देकर उसका शोषण करता था और उसे फिल्माता था। इस मामले में भी आरोपी बेगुनाह और मासूम लड़की का रिश्तेदार निकला। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि तस्वीर लेने या जानकारी चुराने के लिए पीड़ितों के वेब कैमरा को टैप करने के लिए मालवेयर के इस्तेमाल के भी सबूत मिले हैं।
                  इस तरह की घटनाओं से यह बात आसानी से कही जा सकती है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खतरे का कोई अंत नहीं है। पिछले साल जनवरी में एक यूएस-आधारित एनजीओ, नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन, ने भारत में सोशल मीडिया पर अपलोड की गई संदिग्ध चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री पर 25,000 टिपलाइन रिपोर्ट की एक सूची सौंपी थी। जिससे संसद में चर्चा गर्म रही थी।
                 आंकड़े बताते हैं कि केरल में हालांकि इससे निपटने में काफी प्रगति हुई है। केरल पुलिस साइबरडोम का गठन दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने और उभरते साइबर खतरों से निपटने के लिए किया गया था। पुलिस ने पी हंट नाम से एक विशेष अभियान शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप दो साल में 525 मामलों में 428 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।
                साइबरडोम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनोज अब्राहम कहते हैं, “हमारे साइबर मॉनिटरिंग सेल भू-बाड़ (एक वास्तविक दुनिया भौगोलिक क्षेत्र) के माध्यम से डार्क नेट की गश्ती करते हैं। हमारे पास मदद करने के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ सॉफ्टवेयर नेटवर्क हैं। यह एक कठिन काम है। एक बार जब हम एक अपराधी की पहचान करते हैं, तो हम सर्विस प्रोवाइडर की मदद से उसके आईपी पते की खरीद करते हैं और उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। एक बार स्थान की पहचान हो जाने के बाद, हम आगे की कार्रवाई करते हैं।”
                 उन्होंने कहा, “हमारे पास सोशल मीडिया में चाइल्ड पोर्नोग्राफी चलाने वाले व्यक्तियों और समूहों का पता लगाने के लिए अलग-अलग उपकरण और सॉफ्टवेयर हैं। इंटरपोल, यूएस-आधारित इंटरनेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइड चिल्ड्रन, इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड और अन्य एजेंसियां हमारी मदद करती हैं। लॉकडाउन के दौरान स्थिति बिगड़ गई।श् उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ आईटी पेशेवर और डॉक्टर थे। उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ अपराधी थे और उन्हें इलाज की जरूरत थी।
                 इंटरपोल के महासचिव जुर्गन स्टॉक ने हाल ही में कहा था कि कोरोना महामारी के दौरान ऐसे अपराधों में इजाफा हुआ है। एक बाल अधिकार कार्यकर्ता ने कहा, श्श्माता-पिता को कलंक का डर सताता है। इन दिनों इंटरनेट की पहुंच काफी अधिक है। यह अपराध अकेले पुलिस द्वारा रोका नहीं जा सकता है। माता-पिता और परिवार के सदस्यों को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता है।

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