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    तनाव के बीच अचानक पीएम मोदी पहुंचे लेह, बढ़ाया जवानो का हौंसला

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/लेह/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- मई से पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन के साथ तनाव जारी है और सीमा पर स्थिति गंभीर होती जा रही है। ऐसे में पीएम मोदी का यहां अचानक पहुंचना काफी आश्चर्यजनक माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह पहुंच गए। यहां उन्होंने लद्दाख के निमु पोस्ट में थल सेना और वायु सेना के अफसरों से मुलाकात की चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने भी उनके साथ मौजूद रहे। सिंधु नदी के तट पर 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित निमु सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है। यह जंस्कार पर्वत श्रंखला से घिरा हुआ है। दरअसल आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लेह का दौरा करना था लेकिन बताया जा रहा है कि उनका दौरा कैंसिल कराकर प्रधानमंत्री स्वयं ने लेह पंहुचकर सबको ंआश्चर्य में डाल दिया।
    प्रधानमंत्री के दौरे से दो संदेश जाते है, पहला यह कि वह देश के सैन्य बलों के साथ मजबूती से खड़े हैं। दूसरा बड़ा संदेश चीन के लिए है कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं करता। साथ ही इसके पीछे एक छिपा हुआ संदेश भी है। वह यह कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी संप्रभुता तथा अखंडता की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय जनसमर्थन भी हासिल है। उन्होंने गुरुवार को ही सामरिक साझेदार देश रूस के राष्ट्रपति से बात की और शुक्रवार को अचानक लेह पहुंच गए। लेह में ग्राउंड जीरो पर प्रधानमंत्री मोदी के औचक दौरे ने चीन और पाकिस्तान दोनों को कड़ा संदेश दिया है। भारत ने कहीं भी कोई कमजोरी नहीं जारी होने दी है। विदेश मंत्री ने हमेशा अपने बयानों में चीन को अंतरराष्ट्रीय समझौतों, मानदंडों का सम्मान करने के लिए कहा है। आज प्रधानमंत्री ने लेह का दौरा करके बिना कुछ कहे स्पष्ट संदेश दे दिया कि भारत अपनी सीमा की तरफ आंख उठाकर देखने वाले की आंख में आंख डालकर बात करने की माद्दा रखता है।
    प्रधानमंत्री के दौरे को राजनयिक हलके में भी बड़ी गंभीरता से लिया जा रहा है। राजनयिक सूत्रों का कहना है कि भारत ने अब तो बिल्कुल साफ संदेश दे दिया है कि वह अपनी स्थिति से बिल्कुल समझौता नहीं करेगा। वह पीछे नहीं हटेगा। सूत्रों का कहना है कि चीन की हमेशा कोशिश रहती है कि वह पड़ोसियों की जमीन पर कुछ किमी आगे बढ़ जाए, वहां तनाव बढ़ाए, दबाव बनाए और फिर उसमें से कुछ किमी पीछे हटकर, कुछ हिस्से पर कब्जा कर ले। यहां भी चीन की तरफ से इसी तरह संकेत आ रहे थे। चीन के भारत में राजदूत ने एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा कि उनका देश लद्दाख क्षेत्र में भारत से आधे पर समझौता करने के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है। जबकि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति को बदलने का प्रयास किया है। लेकिन प्रधानमंत्री के दौरे से यह संदेश जाएगा कि यहां सीना जोरी नहीं चलने वाली है।

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