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    विरोध के बीच सीएम केजरीवाल ने फाड़ी कृषि कानूनों की प्रतियां, बताया काला कानून

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। सदन की कार्रवाई शुरू होते ही यहां जमकर हंगामा हुआ। यहां तक कि कृषि कानूनों का विरोध इतना तेज हुआ कि सीएम केजरीवाल ने इन्हें काला कानून बताते हुए इनकी प्रतियां सदन में ही फाड़ दीं। इसके बाद विधानसभा सदस्यों ने जय जवान, जय किसान के नारे लगाए। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से कानूनों को वापस लेने की मांग की। वहीं सदन में कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़़ने को लेकर भाजपा ने कहा कि सीएम केजरीवाल सस्ती लोकप्रियता के लिए संविधान का अपमान कर रहे है।
    सीएम केजरीवाल ने सदन में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए लाए गए संकल्प पत्र को फाड़ते हुए कहा कि आज हर किसान भगत सिंह बन चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुलाम भारत में भी शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा ने इसी तरह के एक आंदोलन में अंग्रेजी सरकार को तीन विवादित कानूनों को नौ माह के आंदोलन के बाद वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। लेकिन अब आजाद भारत में किसानों को इस तरह के आंदोलन करने पड़ रहे हैं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं सरकार कह रही है कि वह किसानों से मिल रही है और उन्हें इन कानूनों के लाभ बताने की कोशिश कर रही है। यूपी के सीएम ने कहा कि किसानों को यह बिल लाभ पहुंचाएगा क्योंकि यह किसानों से उसकी जमीन नहीं छीनेगा। क्या यह फायदा है?
    वह आगे बोले कि इतनी जल्दी क्या थी कृषि कानून को महामारी के दौरान संसद में पास करने की? ऐसा पहली बार हुआ है कि तीन कानून राज्यसभा में बिनी वोटिंग के पास हो गए। इसलिए मैं यह तीनों कानून सदन में फाड़ता हूं और केंद्र को अपील करता हूं कि वह अंग्रेजों से बुरा न बनें।
    सदन के सत्र की शुरुआत होते ही मंत्री कैलाश गहलोत ने तीनों कानूनों को रद्द करने का संकल्प पत्र पेश किया। सभी वक्ताओं को इस पर बोलने के लिए पांच मिनट का समय दिया गया। इसी बीच में जब महेंद्र गोयल की बारी आई तो उन्होंने कानून की प्रति को फाड़कर फेंक दिया था।

    संविधान का अपमान कर रहे केजरीवाल
    वहीं, भाजपा ने मुख्यमंत्री के कृत्य को शर्मनाक और कृषि कानूनों पर आम आदमी पार्टी का दोहरा रवैया बताया है। पार्टी प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने भारत के संविधान का अपमान किया है। एक मुख्यमंत्री जो पहले तो 23 नवंबर को इन्हीं कृषि कानूनों को प्रदेश में लागू करते हैं, वहीं 17 दिसंबर को सदन के पटल पर इसकी कॉपी फाड़ते हैं। इससे पूरी दुनिया मेें भारत के लोकतंत्र का मजाक उड़ा है। उन्हें सस्ती लोकप्रियता से बचना चाहिए और अपने संवैधानिक दायित्व को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान हितैषी बनने वाले केजरीवाल के राज्य में केवल 6 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है। उन्हें बताना चाहिए कि उनकी योजनाओं का लाभ कितने किसानों को मिल रहा है।

    दिल्ली के धरने-प्रदर्शन पर मौन क्यों हैं मुख्यमंत्री
    दिल्ली भाजपा प्रवक्ता नेहा शालिनी दुआ ने कहा कि मुख्यमंत्री को पहले अपनी दिल्ली की तरफ ध्यान देना चाहिए, जहां बीजेपी की महिला नेता धरने पर बैठी हुई हैं और किसानों से सहानुभूति जताने वाले मुख्यमंत्री को उनसे मिलने का समय तक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सत्र दिल्ली नगर निगमों में हुए कथित तौर पर भ्रष्टाचार पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के नेताओं-विधायकों के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार पर चुप्पी क्यों साध रखी है।

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