नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा सितंबर में होने वाली जेईई (मेन) 2020 और नीट यूजी परीक्षाओं को स्थगित करने वाली याचिका खारिज किये जाने के साथ ही देश में नीट व जेईई परीक्षा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी अब इस मुद्दे पर न केवल पीएम नरेन्द्र मोदी पर खुलकर निशाना साध रही है बल्कि अनुरोध भी कर रही है कि केंद्र सरकार को छात्रों के मन की बात भी सुननी चाहिए। हालांकि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी एनटीए ने विभिन्न परीक्षाओं के लिए तिथियां जारी कर दी हैं। अब इसे लेकर विपक्ष का विरोध भी तेज हो गया है और छात्रों के हित में परीक्षा को स्थगित करने का अनुरोध किया जा रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार से छात्रों के मन की बात सुनने का आग्रह किया है। वहीं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार और परीक्षा कराने वाली एजेंसी से फैसले पर दोबारा विचार करने को कहा है।
राहुल ने कहा कि सरकार को छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए। उन्होंने रविवार को ट्वीट कर लिखा, ‘आज हमारे लाखों छात्र सरकार से कुछ कह रहे हैं। नीट, जेईई परीक्षा के बारे में उनकी बात सुनी जानी चाहिए और सरकार को एक सार्थक हल निकालना चाहिए। भारत सरकार को नीट, जेईई परीक्षा के बारे में छात्रों के मन की बात को सुनना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान पर पहुंचना चाहिए।’
वहीं कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार और परीक्षा कराने वाली एजेंसी को इस पर विचार करने के लिए कहा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘कोरोना को लेकर देश में परिस्थितियां अभी सामान्य नहीं हुईं हैं। ऐसे में अगर नीट और जेईई परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों ने कुछ चिंताएं जाहिर की हैं तो भारत सरकार व टेस्ट कराने वाली संस्थाओं को उस पर सही से सोच विचार करना चाहिए।’ अपने ट्वीट के साथ प्रियंका ने कोविड काल में परीक्षा के खिलाफ सत्याग्रह हैशटैग का इस्तेमाल किया है।
लोकसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चैधरी ने जेईई और नीट की परीक्षा टालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि जब तक कोविड-19 की स्थिति स्थिर नहीं हो जाती तब तक परीक्षा को टाल दिया जाए। नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में लिखा, श्छात्र इस बात को लेकर बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में हैं कि परीक्षा में शामिल होने पर वे संक्रमण से किस तरह से बच पाएंगे।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकार पर छात्रों की जिंदगी से खेलने का आरोप लगाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, जेईई-नीट की परीक्षा के नाम पर लाखों छात्रों की जिंदगी से खेल रही है केंद्र सरकार। मेरी केंद्र से विनती है कि पूरे देश में ये दोनो परीक्षाएं तुरंत रद्द करें और इस साल एडमिशन की वैकल्पिक व्यवस्था करे। अभूतपूर्व संकट के इस समय में अभूतपूर्व कदम से ही समाधान निकलेगा।
दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, ये सोच कि केवल नीट-जेईई परीक्षा ही एडमिशन का एकमात्र विकल्प है, बेहद संकुचित और अव्यवहारिक सोच है। दुनिया भर में शिक्षण संस्थान एडमिशन के नए नए तरीके अपना रहे हैं। हम भारत में क्यों नहीं कर सकते? बच्चों की जिंदगी प्रवेश परीक्षा के नाम पर दांव पर लगाना कहां की समझदारी है? दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने आगे कहा, आज 21वीं सदी के भारत में हम एक प्रवेश परीक्षा का विकल्प नहीं सोच सकते! यह संभव नहीं है। केवल सरकार की नीयत छात्रों के हित में सोचने की होनी चाहिए नीट-जेईई की जगह सुरक्षित तरीके तो हजार हो सकते हैं।
क्या है परीक्षा को लेकर विवाद
जेईई की परीक्षा पहले अप्रैल में होने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा। अब ये परीक्षा एक सितंबर 2020 से 06 सितंबर 2020 तक आयोजित होने जा रही है। वहीं नीट की परीक्षा दो बार स्थगित हो चुकी है। पहले यह परीक्षा तीन मई 2020 को आयोजित की जानी थी। हालांकि देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से इसे स्थगित करना पड़ा। इसके बाद अगली तारीख 25 जुलाई 2020 तय की गई। मगर कोरोना के बढ़ते संक्रमण और अभ्यर्थियों एवं उनके अभिभावकों के विरोध के कारण इसे दोबारा स्थगित किया गया। अब ये परीक्षा 13 सितंबर 2020 को होने वाली है। कोरोना वायरस महामारी के चलते छात्र इन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि परीक्षा के कारण उनके स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ा तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी। हालांकि न्यायालय ने याचिका को खारिज करके परीक्षा आयोजित कराने को हरी झंडी दे दी।
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