नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली में कोरोना संक्रमण से हालात काफी सुधर चुके हैं। यहां 40 से अधिक दिनों में मरीज दो गुना हो रहे हैं। वहीं,देश में 20 दिन में ही मरीज दो गुना बढ़ रहे हैं। इस हिसाब से देखें तो दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले आधी रफ्तार से ही संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन दिल्ली में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा शून्य पर लाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी-जान से जुटे हैं। उन्होंने कहा कि वह प्रत्येक मौत पर स्वयं निगरानी रख रहे हैं। इसके लिए वह डॉक्टरों और विशेषज्ञों से भी सुझाव मांग रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा कई अहम कदम उठाने का नतीजा है कि रविवार को 64 दिन बाद सबसे कम मौत हुई और संक्रमितों का आंकड़ा भी कम रहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जून में जब लॉकडाउन खुला था, तब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस बात पर बल दिया गया था कि मौतों को कम करना पहली प्राथमिकता है। जून के मुकाबले जुलाई में कोविड मौतों की संख्या में भारी गिरावट आई। दिल्ली सरकार द्वारा गठित चार समिति 10 अस्पतालों में मौतों के कारण का अध्ययन भी कर रही हैं। 3 अगस्त को यह टीमें विस्तृत रिपोर्ट सीएम को सौंपेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन का कहना है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुरू से ही व्यक्तिगत रूप से कोविड के गंभीर मरीजों और कोविड मौतों के स्टेटस की प्रतिदिन निगरानी करते हैं। उनके द्वारा मौतों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण उपायों को समय पर लागू करने पर बल दिया गया। अब वह कोरोना से मौत को शून्य पर लाने के काम में जुटे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 22 जून को यहां संक्रमितों की संख्या 68,5071 थी। अब यह 1,37,677 हो गई है। यानी, मरीजों को दो गुना होने में 41 दिन लगे। इससे पहले 20 दिन में ही यह आंकडे दोगुना हो रहे थे। यहां जून की शुरूआत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ने लगे थे इस दौरान मौतों की संख्या में भी उछाल आया था। दिल्ली में संक्रमण का पहला मरीज 3 मार्च को आया था। 11 अप्रैल को यह संख्या एक हजार पहुंची थी। 28 अप्रैल को 4000 मामले हो गए थे। उसके बाद औसतन 13 दिन में मरीज दो गुना हो रहे थे। जुलाई महीने में संक्रमण के महज 46,600 मामले आए। इससे मरीजों के दोगुना होने की गति पर ब्रेक लग गया। अब 40 से ज्यादा दिनों में यह संख्या दोगुना हो रही है। कोरोना वायरस मामलों का पीक 23 जून को आया, जब एक ही दिन में 3,947 नए मामले सामने आए। तब रोजाना औसतन 2300 मरीज आ रहे थे। अब यह संख्या औसतन 1200 रहती है। इसके अलावा अब रिकवरी रेट भी 90 फीसदी के करीब हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दिल्ली में रिकवरी रेट लगातार बढ़ता रहा तो आने वाले दो महीनों में एक्टिव मामलों की संख्या एक हजार तक सिमट जाएगी,जो एक अच्छा संकेत होगा। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के दोगुना होने की रफ्तार घटने से पता चलता है कि धीरे-धीरे संक्रमण पर लगाम लग रही है।
रोजाना देखते हैं स्टेटस रिपोर्ट- जैन
इन पांच कदमों की रही अहम भूमिका
- बड़े पैमाने पर जांच रू दिल्ली सरकार ने जुलाई के शुरू में जांच का दायरा बढ़ाते हुए 20 से 21 हजार टेस्ट प्रतिदिन कर दिया, जबकि पहले औसतन 5500 टेस्ट था।
- ऑक्सीपल्स मीटर रू सरकार ने होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे सभी मरीजों को ऑक्सीमीटर वितरित किया, ताकि मरीज अपना ऑक्सीजन स्तर मापते रहें। इसके लिए 59,600 ऑक्सीपल्स मीटर खरीदे गए।
- एंबुलेंस सिस्टम रू मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन की शुरुआत में ही बड़ी संख्या में एंबुलेंस बढ़ाने के आदेश दिए थे। इसके बाद एंबुलेंस की संख्या 134 से बढ़ा कर 602 कर दी गई। रेस्पांस टाइम 55 मिनट से घटकर 20-30 मिनट रह गया।
- बेड और कोरोना एप रू मई की शुरुआत में कोविड बेड की क्षमता 3700 थी, जिसे जुलाई के अंत में बढ़ाकर 15 हजार से अधिक कर दिया गया है। वहीं, कोरोना एप लांच होने के बाद गंभीर मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध बेड का पता लगाने में सहूलियत हुई।
- आईसीयू बेड रू सीएम केजरीवाल ने आईसीयू बेड के विस्तार पर बल दिया। जून की शुरुआत में 500 से कम आईसीयू बेड थे। अब 2200 से अधिक आईसीयू बेड हैं।
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