– “न्याय नहीं मिल रहा”
मानसी शर्मा/- नई दिल्ली/लेह/जोधपुर प्रख्यात जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने उनके खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वांगचुक को हाल ही में लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया था।
गीतांजलि ने कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए आरोप लगाया है कि उनके पति को “अमानवीय तरीके से हिरासत में रखा गया है”, और उन्हें या उनके परिवार को न तो मिलने की इजाज़त दी जा रही है और न ही कोई औपचारिक जानकारी दी जा रही है।
क्या है मामला?
बीते हफ्ते लेह में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद, प्रशासन ने सोनम वांगचुक पर “राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने” का आरोप लगाते हुए NSA के तहत हिरासत में लिया था।
प्रशासन का दावा है कि वांगचुक की मौजूदगी और भाषणों से प्रदर्शन हिंसक रूप ले गया।
इसके बाद उन्हें चुपचाप जोधपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया, जिससे उनके परिवार और सहयोगियों को कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गई।
पत्नी का आरोप: “हमारा पीछा किया जा रहा है, कर्मचारियों को पीटा गया”
दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए गीतांजलि आंगमो ने कहा:
“दिल्ली में मैं जहां भी जाती हूं, एक कार मेरा पीछा करती है। हमारे साथ काम करने वाले कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है, उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।”
उन्होंने बताया कि उन्हें सिर्फ एक अधिकारी से फोन आया था जिसमें कहा गया कि कुछ लोग वांगचुक से मिल सकते हैं, लेकिन जब उन्होंने लिखित आश्वासन मांगा, तो कोई जवाब नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट में क्या है याचिका का आधार?
गीतांजलि आंगमो की ओर से दाखिल याचिका में मांग की गई है कि:
सोनम वांगचुक की हिरासत असंवैधानिक घोषित की जाए।
परिवार और वकीलों को मिलने की अनुमति दी जाए।
हिरासत में मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि अगर एक प्रसिद्ध और सम्मानित शख्सियत के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम नागरिकों की स्थिति क्या होगी?
“यह संदेश पूरे भारत में पहुंचना चाहिए” – गीतांजलि आंगमो
“अगर एक ऐसे इंसान को, जिसने जलवायु और शिक्षा के क्षेत्र में बेमिसाल काम किया है, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ रहा है, तो यह सोचने वाली बात है। यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं है – यह संविधान और नागरिक अधिकारों का मुद्दा है।”
सरकारी पक्ष क्या कहता है?
प्रशासन की ओर से अभी तक कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि “राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए” कदम उठाया गया है।
हालांकि मानवाधिकार संगठनों और सिविल सोसायटी के कुछ हिस्सों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन” बताया है।
पृष्ठभूमि: कौन हैं सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक एक अभिनव शिक्षा सुधारक और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं।
उन्हें लद्दाख में आईस-स्टूप प्रोजेक्ट, ग्रामीण शिक्षा सुधार, और स्थानीय टिकाऊ विकास के लिए जाना जाता है।
फिल्म ‘3 इडियट्स’ में आमिर खान का किरदार उनसे प्रेरित बताया गया था।
निष्कर्ष
सोनम वांगचुक की NSA के तहत हिरासत और अब सुप्रीम कोर्ट में उनकी रिहाई की मांग, एक बार फिर सवाल उठाती है – कि कानून व्यवस्था और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन कहां है?
अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हैं, जो यह तय करेगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता कितनी सीमित की जा सकती है।


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