नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 12 अगस्त को दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को लेकर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फिलहाल इन वाहनों के मालिकों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह निर्णय दिल्ली सरकार की उस याचिका पर आया है, जिसमें पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी। साथ ही, अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद तय की है।
दिल्ली सरकार की दलील
दिल्ली सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि इस मामले पर पुनर्विचार आवश्यक है। उन्होंने कहा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के उपयोग पर बैन लगाया था, लेकिन इस नीति से उन आम लोगों को भी नुकसान हो रहा है जो अपने वाहनों का सीमित उपयोग करते हैं। याचिका में तर्क दिया गया कि कई गाड़ियां अभी भी अच्छी स्थिति में हैं और उन्हें बंद करना अनुचित होगा।
कोर्ट की टिप्पणी और नोटिस
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच, जिसमें जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया भी शामिल थे, ने कहा कि बिना सभी पक्षों को सुने कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। अदालत ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों को नोटिस जारी किया और 4 हफ्तों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। तब तक इन वाहनों के मालिकों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
विंटेज कारों का जिक्र
सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा कि पहले कारें 40 से 50 साल तक चलती थीं और आज भी विंटेज कारें मौजूद हैं। उन्होंने संकेत दिया कि वाहन की उम्र से अधिक, उसकी स्थिति और प्रदूषण स्तर पर ध्यान देना जरूरी है।


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