
लुधियाना विधानसभा उपचुनाव/सिमरन मोरया/- पंजाब के लुधियाना वेस्ट विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने शानदार जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस के भारत भूषण आशु को हराया। इस जीत ने न केवल AAP की पंजाब में स्थिति को मजबूत किया है। बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा में जाने की अटकलों को भी हवा दे दी है।
उपचुनाव का महत्व और परिणाम
लुधियाना वेस्ट सीट पर उपचुनाव AAP के विधायक गुरप्रीत बसी गोगी के जनवरी 2025 में निधन के बाद हुआ था। इस सीट को AAP के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जा रहा था। खासकर दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार के बाद। संजीव अरोड़ा जो एक उद्योगपति और मौजूदा राज्यसभा सांसद हैं। वहीं कांग्रेस के भारत भूषण आशु का भी सही प्रदर्शन रहा। इस जीत को AAP की ‘प्रो-पीपल गवर्नेंस’ और अरोड़ा की स्थानीय लोकप्रियता का परिणाम माना जा रहा है।
सौरभ भारद्वाज का बयान
दिल्ली AAP अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने अरोड़ा की जीत पर खुशी जताते हुए कहा “संजीव अरोड़ा ने राज्यसभा सांसद के रूप में लुधियाना में बहुत काम किया है। उनकी जीत स्पष्ट थी क्योंकि लोग उनकी मेहनत और समर्पण को पसंद करते हैं।” साथ ही यह भी संकेत दिया कि अरोड़ा को पंजाब सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है और पार्टी नेतृत्व जल्द ही खाली होने वाली राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार पर फैसला करेगा।
केजरीवाल की राज्यसभा संभावना
संजीव अरोड़ा की जीत के साथ ही उनकी राज्यसभा सीट खाली होने की संभावना है क्योंकि उन्हें विधायक के रूप में चुने जाने के बाद एक सीट छोड़नी होगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल इस सीट से राज्यसभा में जा सकते हैं। दिल्ली में हार के बाद केजरीवाल के लिए यह एक महत्वपूर्ण मौका हो सकता है। AAP के एक प्रवक्ता ने कहा “हम चाहते हैं कि हमारा नेता संसद में जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाए।” लेकिन पार्टी ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
लुधियाना वेस्ट की जीत ने AAP को पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस चुनाव को ‘विनम्रता बनाम अहंकार’ की लड़ाई करार दिया था। अरोड़ा की जीत को AAP की जन-समर्थक नीतियों और गोगी के कार्यों को आगे बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता से जोड़ा जा रहा है। और लुधियाना वेस्ट उपचुनाव में संजीव अरोड़ा की जीत ने AAP के लिए एक नई शुरुआत की है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अरविंद केजरीवाल राज्यसभा के रास्ते संसद में दस्तक देंगे।
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