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  • एकनाथ शिंदे को मुंबई लौटने में लगी देरी, पायलट ने उड़ान भरने से किया इनकार; जलगांव एयरपोर्ट पर मचा हड़कंप

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    July 19, 2025

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    एकनाथ शिंदे को मुंबई लौटने में लगी देरी, पायलट ने उड़ान भरने से किया इनकार; जलगांव एयरपोर्ट पर मचा हड़कंप

    जलगांव/मुंबई/अनीशा चौहान/- महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शुक्रवार 6 जून की रात जलगांव एयरपोर्ट पर उस समय अनोखी स्थिति का सामना करना पड़ा, जब उनके निजी विमान के पायलट ने उड़ान भरने से इनकार कर दिया। पायलट ने शारीरिक थकान और ड्यूटी समय समाप्त होने का हवाला देते हुए विमान उड़ाने से मना कर दिया, जिससे एयरपोर्ट पर करीब 45 मिनट तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।

    क्या है पूरा मामला?
    एकनाथ शिंदे जलगांव जिले के मुक्ताईनगर में आयोजित संत मुक्ताई पालखी यात्रा में भाग लेने के लिए पहुंचे थे। पहले उनका विमान दोपहर 3:45 बजे जलगांव पहुंचने वाला था, लेकिन तकनीकी कारणों से वह शाम 6:15 बजे पहुंचा।

    कार्यक्रम संपन्न होने के बाद, शिंदे रात 9:15 बजे मुंबई लौटने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे। उनके साथ कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन और गुलाबराव पाटिल भी थे। विमान उड़ान के लिए तैयार था, लेकिन तभी पायलट ने उड़ान से साफ इनकार कर दिया।

    पायलट ने क्यों रोकी उड़ान?
    पायलट का कहना था कि उसने लगातार 12 घंटे ड्यूटी की है और अब वह मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ है। ऐसे में वह नियमों के तहत उड़ान नहीं भर सकता। पायलट की यह दलील सुनकर अधिकारियों और नेताओं के बीच हलचल मच गई।

    जलगांव एयरपोर्ट पर मचा हड़कंप
    पायलट के इनकार के बाद एयरपोर्ट पर हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला। मंत्री गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटिल और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने पायलट से बातचीत कर उसे मनाने की काफी कोशिशें कीं। अंततः पायलट ने चर्चा के बाद उड़ान भरने पर सहमति जताई और विमान मुंबई के लिए रवाना हुआ।

    इस पूरे घटनाक्रम के चलते एकनाथ शिंदे को लगभग 45 मिनट तक एयरपोर्ट पर रुकना पड़ा।

    पायलट की सावधानी या नियमों की सख्ती?
    यह मामला अब चर्चा का विषय बन गया है। एक ओर कुछ लोग कह रहे हैं कि पायलट को VIP यात्री के चलते उड़ान भर लेनी चाहिए थी, वहीं कई लोग पायलट की सतर्कता और नियमों के पालन की सराहना कर रहे हैं।

    यह घटना यह भी स्पष्ट करती है कि फ्लाइट सेफ्टी के नियम किसी भी पद या व्यक्ति विशेष से ऊपर हैं, और हर स्थिति में मानव संसाधन की सीमा को समझना ज़रूरी है।

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