नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पिछले दो महीने से देश व्यापी लाॅक डाउन के बावजूद भी हम अब कोरोना महामारी को लेकर एशिया प्रायद्वीप में पहले नंबर पर आ गये है। हालांकि सरकार कोरोना महामारी को लेकर काफी सजग दिख रही है लेकिन वह दिन दूर नही जब हम विश्व में भी पहले नंबर पर होंगे। जिसतरह से देश में कोरोना व्यक्तिगत से सोशल हो गया है उसे देखते हुए अब हमे हर पल कोरोना का डर सतायेगा और अब हमें इसके साथ व इसके साये में जीने के लिए तैयार होना होगा।
यहां बता दें कि जब देश में कोरोना वायरस की शुरूआत हुई थी तो हम लाॅक डाउन का पालन कर रहे थे और घरों में थे जिसकारण कोरोना का संक्रमण सिर्फ व्यक्तिगत स्तर तक ही सीमित रहा लेकिन अब यह हमारे सामाजिक ताने-बाने व व्यवसाय में भी घुस गया है जिसकारण अब कोरोना महामारी सोशल हो गई है। अब कोरोना के संक्रमण का साया फल, सब्जी, किरयाना स्टोर, दवाईयों की दूकान, कपड़ों व मिठाईयों पर भी दिखाई देने लगा है। देश में यातायात के साधन बस, टैक्सी, रेल व हवाईजहाज, यहां तक की निजि वाहन भी अब कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। तो अब सवाल यह उठता है कि जब कोरोना हर जगह फैल चुका है तो कैसे कोई इससे बच सकता है।
जहां तक सरकारों की बात है तो कोई भी सरकार ज्यादा समय तक देश को या राज्य को लाॅक डाउन नही कर पायेगी। क्योंकि अब तो हम सिर्फ कोरोना से लड़ रहे है लेकिन फिर हमे भूखमरी व आर्थिक तंगी से भी लड़ना होगा जिसकारण स्थितियां भयावह हो सकती है।
हम लाॅक डाउन में ढील को लेकर सरकार को दोष नही दे सकते। हमें अब खुद इस बिमारी से लड़ने के लिए तैयार होना होगा। कोरोना काल में एक बात जो सबसे सही है वह है कि जिसका इम्यूनसिस्टम ठीक होगा वहीे अब नई दुनिया देख पायेगा अर्थात् कोरोना हर किसी को आयेगा और हो सकता है बार-बार आये। क्योंकि दुनिया में ऐसे मामले सामने आ रहे है कि लोगों को कोरोना दूसरी बार भी हो रहा है। डब्ल्यूएचओ की माने तो कोरोना धीरे-धीरे अपने गुण व लक्षण भी बदल रहा है जिसकारण उसे पहचानने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारें अपना काम करेंगी वहीं हमे अपनी जिम्मेदारी भी समझनी होगी। कोरोना महामारी से बचने के लिए नही अपितू इसके साथ जीने की कला हमे जाननी होगी। हम कोरोना के साथ जी सकते है। इसके लिए सबसे पहले हमे माानसिक रूप से तैयार होना होगा। क्योंकि अब कोरोना उस स्थिति में पंहुच गया है जब हम इस पर नियन्त्रण नही रख पायेंगे। इसके लिए हमे खुद को तैयार करना होगा। इसके लिए योग, व्यायाम, पौष्टिक भोजन, ध्यान व एक सीमित दिनचर्या का निर्वहन करना होगा। सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क व सेनिटाइजर का प्रयोग, हाथ व कपड़े साफ रखने का कार्य भी अपनी दिनचर्या में शामिल होगा। अब मै आपकों एक कड़वा सत्य बताता हूं। कोरोना सभी को होगा, इससे कोई नही बचेगा, बचेगा सिर्फ वही जो मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत होगा। क्योंकि अब कोरोना को रोकना किसी सरकार के बस की बात नही रहा। इसीलिए दुनिया भर में अब लाॅक डाउन में ढील दी जाने लगी है। यह बात और है कि हो सकता है कि विश्व के वैज्ञानिक इसका कोई स्टीक ईलाज ढूंढने में कामयाब हो जाये लेकिन तब तक हमे सावधान रहना होगा और कोरोना का डर अपने मन से निकालना होगा। क्योंकि हो सकता है हम कोरोना के बजाये उसके डर से मर जाये। अगर ऐसा हुआ तो फिर हम कुछ नही कर पायेंगे। इस संबंध में 70 के दशक में ही आध्यात्मिक गुरू ओशो रजनीश ने कहा था कि किसी भी महामारी से तो हम पार पा सकते है लेकिन उसके डर से जब तक पार नही पायेगे तब तक हमारा बचना मुश्किल ही होगा। इसलिए सबसे पहले हमे कोरोना का डर मन से निकालना होगा। और अब तो ऐसी अनेक बाते व उपाय सामने आ गये है जिन्हे अपनाकर हम कोरोना को मात दे सकते हैं। आज देश में कोरोना 1 लाख 70 हजार के आंकड़े को पार कर गया हैं। और रोजाना अब करीब इसके बढ़ने की दर 7000 के करीब पंहुच गई है लेकिन फिर भी सरकार लाॅक डाउन में ढील देकर धीरे-धीरे सब कुछ खोल रही है। इसका मतलब अब सरकार भी यह चाहती है कि हम कोरोना के साथ जीना सीखे और इसका मुकाबला करें। मै भी आपसे यही अपील करूंगा की आप जितना हो सके सावधानी बरते, घर पर रहे और जरूरी हो तभी घर से बाहर निकले, सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करे और स्वस्थ रहें व लंबी आयु जीयें।
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