• DENTOTO
  • संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार…मुआवजे में देरी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 17, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार…मुआवजे में देरी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है। किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से तब तक वंचित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसे कानून के अनुसार उचित मुआवजा न दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण के एक मामले में मुआवजे को लेकर हुईं 22 साल की देरी से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि 1978 के संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम के तहत संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं रहा, लेकिन यह एक कल्याणकारी राज्य में मानव अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300-ए के तहत संवैधानिक अधिकार बना हुआ है। अनुच्छेद 300-ए के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से केवल कानून के अधिकार के तहत ही वंचित किया जा सकता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट के नवंबर 2022 के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर दिया गया, जो बेंगलुरु-मैसूर इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट (ठडप्ब्च्) के तहत भूमि अधिग्रहण से संबंधित था। बेंच ने कहा कि हालांकि संपत्ति का अधिकार अब मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन भारत के संविधान के अनुच्छेद 300-ए के प्रावधानों के तहत यह एक संवैधानिक अधिकार है।

    मुआवजे में देरी पर कड़ी टिप्पणी
    सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 2003 में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियाज डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की भूमि का कब्जा ले लिया गया। बेंच ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति के बदले कोई मुआवजा नहीं मिला। यह देरी राज्य और ज्ञप्।क्ठ के अधिकारियों के सुस्तीपूर्ण रवैये के कारण हुई। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि 2003 की बाजार दर पर मुआवजा दिया गया, तो यह न्याय का मजाक होगा। अदालत ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्देश दिया कि मुआवजे का निर्धारण 22 अप्रैल 2019 की बाजार दर के आधार पर किया जाए। अनुच्छेद-142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को असीम विशेष अधिकार मिले हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (ैस्।व्) को निर्देश दिया कि वह 2019 की दरों के आधार पर दो महीने के भीतर ताजा निर्णय लें। साथ ही, यदि पक्षकार मुआवजे से असंतुष्ट होते हैं, तो उनके पास कानूनी चुनौती का अधिकार सुरक्षित रहेगा।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox