
नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC-ST आरक्षण में उप-वर्गीकरण के मामले में हाल ही में जारी किए गए फैसले से दलित समुदाय में भारी असंतोष का माहौल बन गया है। इस फैसले पर कई प्रमुख नेताओं ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सभी SC-ST सांसदों से मुलाकात की और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनकी राय जानने के साथ-साथ इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की SC-ST सांसदों से मुलाकात: उठे सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की SC-ST सांसदों से मुलाकात के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या केंद्र सरकार इस फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाएगी या सांसद कोई अन्य समर्थन विधि अपनाएंगे। सांसदों ने क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के विरोध में एक ज्ञापन प्रस्तुत किया और इस फैसले को समाज में लागू न करने की मांग की। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और रामदास अठावले ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया और चिराग पासवान ने घोषणा की कि उनकी पार्टी इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मुख्य बिंदु
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST आरक्षण में उप-वर्गीकरण के मामले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जाति के भीतर उप-वर्गीकरण का संवैधानिक अधिकार है, ताकि सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ी जातियों को आरक्षण मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण का आधार पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के आंकड़ों पर होना चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ या इच्छाशक्ति पर।
संजय सिंह की आपत्ति
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक बार कोई विधायक SC/ST के लिए आरक्षित सीट से सांसद बन जाएगा, तो वह क्रीमी लेयर में शामिल हो जाएगा और दोबारा उसी सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएगा। इससे वंचित समुदाय के लोगों का संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा।
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