इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा
हद से ज्यादा क्या होगा की,
जीवन का सुख खो दूंगा मैं l
और बिछड़ कर तन्हाई में,
फूट फूट कर रो दूंगा मैं ll
पर चुटकी भर सुख की खातिर
मैं मरने से डर जाऊंगा?
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा
कहो तुम्हारी ज़िद के आगे,
मेरुदंड को धनुष बना दूँ l
स्वाभिमान की थाती को मैं,
तेल छिड़क कर आग लगा दूँ ll
स्वर्णमृग की चाह जगी तो
पीड़ाओं से भर जाऊंगा
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा l
तुमको ऐसा लगता होगा,
अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ हूँ l
पर सच है की सर-शैया पर,
रक्तरंजित हो पड़ा हुआ हूँ ll
ठाना जिसके दिल घर करना
मैं बस उस के घर जाऊंगा
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा l
बौनापन अभिशाप नहीं है
बौनो का भी क़द होता है
अंतहीन हो सफर भले पर
उसका भी मक़सद होता है
डोर सब्र की छूट गईं तो
हद के पार गुजर जाऊंगा
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा
More Stories
देहरादून में सूडान के छात्र ने किया दक्षिण अफ्रीका की युवती से रेप
प्रदूषण के चलते 5 साल कम हुई दिल्लीवालों की उम्र, रिपोर्ट में हुए कई चौंकाने वाले खुलासे
‘BIGG BOSS 18’ में हिना खान की धमाकेदार वापसी! कीमोथेरेपी के बाद TV पर पहली बार आएंगी नजर
पहले टेस्ट में केएल राहुल के विकेट पर मचा बवाल, ऑस्ट्रेलिया पर लगा बेइमानी का आरोप
महाराष्ट्र में रिसॉर्ट पॉलिटिक्स की सुगबुगाहट, कांग्रेस को सता रहा पार्टी में फूट का डर
150 रनों पर सिमटी टीम इंडिया, प्लेइंग इलेवन देखकर भड़क गए सुनील गावस्कर; कह बड़ी बात