• DENTOTO
  • तुर्की ने की भारत के यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनने की पैरवी, जी-20 में तुर्की के राष्ट्रपति ने बयान से चौंकाया !

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    August 2025
    M T W T F S S
     123
    45678910
    11121314151617
    18192021222324
    25262728293031
    August 5, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    तुर्की ने की भारत के यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनने की पैरवी, जी-20 में तुर्की के राष्ट्रपति ने बयान से चौंकाया !

    -बोले-’यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनता है भारत तो होगा गर्व’

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- विश्व में अनेक पटलों पर भारत के खिलाफ बोल चुके तुर्की को जी-20 की सफलता में ऐसा क्या नजर आया कि तुर्की के राष्ट्रपति ने एकदम से भारत को यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाने की पैरवी कर दी। भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुए जी 20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए वैसे तो तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मेहमाननवाजी के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद कहा है। यह सम्मेलन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा और कई बड़े फैसले यहां लिए गए हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि अक्सर भारत विरोध के बयान देने वाले तुर्की के सुर भी बदले हुए नजर आए हैं। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है और कहा है कि अगर भारत यूएनएससी का स्थाई सदस्य बनता है तो तुर्की को इस पर गर्व होगा।

    एर्दोगन ने कहा, ’मैं जी-20 की बेहद सफल अध्यक्षता के लिए भारत को धन्यवाद देता हूं। मुझे, मेरी पत्नी और पूरे तुर्की प्रतिनिधिमंडल की मेहमाननवाज़ी के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं।’ पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने रविवार को कहा कि अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का स्थायी सदस्य बनता है तो तुर्की को “गर्व“ होगा। एर्दोगन का यह बयान हैरान करने वाला इसलिए भी है क्योंकि वह अक्सर कई मंचों पर भारत विरोधी रूख अपना चुका है। तुर्की का यह बयान इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि वह अक्सर पाकिस्तान का फेवर करने वाले बयान देता रहा है और कश्मीर मुद्दे पर भी खुलकर बयानबाजी कर चुका है। साथ ही एर्दोगन ने कहा कि सभी गैर-पी-5 सदस्यों को बारी-बारी से सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने का अवसर मिलना चाहिए। एर्दोगन एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सवाल का जवाब दे रहे थे।
                एर्दोगन ने कहा कि ’दुनिया पांच से बड़ी और बड़ी है। ’उन्होंने कहा, ’हमें गर्व होगा अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाए। जैसा कि आप जानते हैं, दुनिया पांच से भी बड़ी है।“ उन्होंने कहा, ’हमारे कहने का मतलब यह है कि यह केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के बारे में नहीं है। हम सुरक्षा परिषद में सिर्फ इन पांच देशों को नहीं रखना चाहते।’

    क्या है पी- 5
    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अस्तित्व में आए संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में दुनिया के 5 कद्दावर देश अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और यूनाइटेड किंगडम को जगह मिली। इन देशों को पी-5 भी कहा जाता है.उनमें से कोई भी किसी प्रस्ताव पर वीटो कर सकता है। सुरक्षा परिषद के दस निर्वाचित सदस्य, जो लगातार दो साल की सेवा प्रदान करते हैं, उन्हें वीटो शक्ति प्रदान नहीं की जाती है। 

    एर्दोगन ने मोदी को दी बधाई
    इससे पहले राष्ट्रपति एर्दोगन ने भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी। उन्होंने फरवरी 2023 में तुर्की में आए भूकंप के बाद ऑपरेशन दोस्त के तहत त्वरित राहत के लिए भारत को धन्यवाद भी दिया। एर्दोगन ने चंद्रयान मिशन की सफलता पर भी प्रधानमंत्री को बधाई दी और सूर्य के आदित्य मिशन के शुभकामनाएं दीं।

    पीएम मोदी ने भी की यूएन में सुधार की वकालत
    इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का पुरजोर समर्थन किया। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी यूएन में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के… लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। उन्होंने कहा कि आज “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद” भी इसका एक उदाहरण है। जब यूएन की स्थापना की गयी थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था, उस समय यूएन में 51 फाउंडिंग मेंबर्स थे और आज यूएन में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए रिफॉर्म करना आवश्यक है।
    आपको बता दें कि विश्वमंथन के सबसे बड़े मंच जी-20 की बैठक के पहले दिन ही दिल्ली घोषणा पत्र पर जो आम सहमति बनी उससे एक इतिहास बन गया। इस बार का जी-20 सम्मेलन अब तक का सबसे सफल सम्मेलन भी बन गया है। इसमें पिछले सम्मेलन की तुलना में सबसे ज्यादा काम हुआ है। भारत में हो रहे समिट के पहले दिन कुल 73 मुद्दों पर चर्चा के बाद सहमति बनी, जबकि पिछले साल इसी समिट में सिर्फ 27 मुद्दों पर ही सहमति बन पाई थी। 2021 में 36, 2020 में 22, 2019 में 13, 2018 में 12 और 2017 में जब जर्मनी में जी-20 का समिट हुआ था, तब सिर्फ 8 मुद्दों पर ही चर्चा के बाद सहमति बनी थी लेकिन भारत ने इस बार के समिट में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 73 मुद्दों पर चर्चा की और इस पर सभी देशों के राष्ट्र अध्यक्षों और नेताओं के बीच इन पर सहमति भी बना ली। 

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox