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    आप ने सिद्धू की तारीफ के पुल बांधे

    -नई खिचड़ी तो नही पक रही -पंजाब में अभी तक आप ने घोषित नही किया है सीएम चेहरा, सिद्धू भी पार्टी को दे रहे चेतावनी

    नई दिल्ली/ब्यूरो न्यूज/- पंजाब विधानसभा चुनावों के नजदीक आने के साथ ही पंजाब में नई खिचड़ी पकने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। अचानक पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के उठाये मुद्दे आम आदमी पार्टी को अच्छे लगने लगे हैं। वहीं अमृतसर पंहुचे पार्टी के पंजाब सह प्रभारी राघव चड्ढा ने सिद्धू द्वारा उठाये गये मुद्दों की जमकर तारीफ भी की है। हालांकि सिद्धू की भी अभी तक कांग्रेस में पूरी तरह से पट नही रही है और उन्होने अपने उठाये मुद्दों पर सरकार को चेतावनी दी है। अब से संयोग कहा जाये या फिर पंजाब में पक रही नई खिचड़ी का नाम दिया जाये पर श्री चड्ढा ने मुस्कुराते हुए कहा कि अपने भविष्य के बारे में तो सिद्धू साहब जानें, लेकिन वे मुद्दे सही उठा रहे हैं। इससे पहले अरविंद केजरीवाल भी सिद्धू का समर्थन करके सीएम चरणजीत चन्नी की सरकार से दागी अफसरों को हटाने की मांग कर चुके हैं।
                         वही आप का यह सियासी बर्ताव इसलिए अहम है, क्योंकि पंजाब में अभी तक उन्होंने सीएम चेहरे की घोषणा नहीं की है। वहीं, सिद्धू भी सोमवार को ही पंजाब की कांग्रेस सरकार से लेकर पार्टी हाईकमान को कह चुके हैं कि समझौतावादी अफसरों या उनमें से किसी एक को चुन लो।


                          यहां बता दें कि सितंबर महीने में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब दौरे पर आए थे। तब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल से पूछा गया कि क्या नवजोत सिंह सिद्धू आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे। इस पर अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यह हाइपोथेटिकल क्वेश्चन है। समय आने पर बात की जाएगी। केजरीवाल ने इस संभावना से इनकार भी नहीं किया था।
                         वहीं सिद्धू ने कुछ समय पहले ट्विटर के जरिए आम आदमी पार्टी के नेताओं के वीडियो पोस्ट किए थे। जिसमें भगवंत मान से लेकर संजय सिंह तक सिद्धू के पंजाब एजेंडे की तारीफ कर रहे हैं। हालांकि सिद्धू ने यह वीडियो भगवंत मान के उनकी आलोचना को लेकर ट्वीट किए थे, लेकिन इतना संकेत जरूर दिया था कि उनकी और आप की सोच में समानता है। हालांकि सिद्धू का पहला लक्ष्य सीएम बनना ही था लेकिन सिद्धू का कांग्रेस में सीएम बनने का रास्ता साफ नहीं है। कांग्रेस हाईकमान कह चुकी है कि अगला चुनाव सिद्धू और सीएम चन्नी की अगुवाई में लड़े जाएंगे। सीएम न बन पाने की छटपटाहट भी सिद्धू बार-बार दिखाते रहे हैं। पंजाब कांग्रेस के लखीमपुर खीरी काफिले के वक्त भी सिद्धू यह बात कह चुके हैं।
                       सोमवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिर सिद्धू ने यह बात कही कि उनके पास कोई प्रशासनिक पावर नहीं है। सिद्धू ने यह भी कहा कि चरणजीत चन्नी को सीएम कांग्रेस हाईकमान ने बनाया है, मेरा उसमें कोई रोल नहीं है। सिद्धू ने कैप्टन को हटाने के बाद खुद भी सीएम बनने का दावा ठोका था।
                        जब तक हरीश रावत पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज थे, तब तक सिद्धू की खूब चल रही थी। सिद्धू के पंजाब प्रधान बनने से लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह को कुर्सी से हटाने में रावत का बड़ा रोल रहा। अब रावत को हटा हरीश चौधरी को लगा दिया गया है। जो सिद्धू से ज्यादा सीएम चन्नी के पक्ष में हैं। इसी वजह से डीजीपी इकबालप्रीत सहोता को हटाने पर सरकार यूपीएससी पैनल आने के बहाने चुप है। वहीं एडवोकेट जनरल एपीएस देयोल का इस्तीफा मिलने के बाद भी मंजूर नहीं किया गया।
                        कांग्रेस के लिए इसकी बड़ी वजह पंजाब का 32 प्रतिशत वोट बैंक है। अगर पंजाब के पहले अनुसूचित जाति के सीएम चरणजीत चन्नी पर दबाव डाला या उनके खिलाफ कांग्रेस ने कोई कदम उठाया तो फिर उसका खामियाजा अगले चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। यही वजह है कि सिद्धू के डीजीपी और एडवोकेट जनरल को हटाने की मांग को हाईकमान जानबूझकर लटका रही है।

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