नजफगढ़ मेट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-भारत में जल्द शुरू होने जा रहे 5जी मोबाइल नेटवर्क के परीक्षण को दूरसंचार विभाग ने स्वीकृति दे दी है। लेकिन इसमें चीन की किसी भी कंपनी को भाग लेने का मौका नही दिया गया है जिसकारण चीन काफी बौखलाया हुआ है। हालांकि भारत ने चीनी कंपनी हुवावे और जेडटीई के बिना 5जी परीक्षणों को करने का फैसला किया है जिसे देखते हुए भारत के इस फैसले का अमेरिका ने स्वागत किया है और इसे संप्रभु निर्णय बताया है। वहीं भारत का मानना है कि उनका 5जी परीक्षण में स्वदेशी पर जोर रहेगा ताकि भारत आत्मनिर्भर बन सके।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि यह भारत सरकार द्वारा एक संप्रभु निर्णय था, इसलिए हमारा मानना है कि इस बारे में आपको भारत सरकार से ही कोई टिप्पणी लेनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मैं अधिक व्यापक रूप से कह सकता हूं कि यह सही है कि हम ऐसे उपकरणों पर आधारित नेटवर्क के खतरों को लेकर चिंतित हैं, जिन्हें पीआरसी (पीपुल्स रिपल्बिक ऑफ चाइना) नियंत्रण या बाधित कर सकता है। उन्होंने कहा कि हुवावे या जेडटीई जैसे गैर-भरोसेमंद दूरसंचार आपूर्तिकर्ताओं को अनुमति देने में राष्ट्रीय सुरक्षा, निजता और मानवाधिकारों से जुड़े जोखिम शामिल हैं। दूरसंचार विभाग ने चार मई को 5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी दी थी, हालांकि इसमें कोई भी कंपनी चीनी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं करेगी।
दूरसंचार विभाग ने रिलाइंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और एमटीएनएल के आवेदनों को मंजूरी दी है। इनमें से कोई भी कंपनी चीनी कंपनियों की तकनीक का उपयोग नहीं कर रही है। दूरसंचार विभाग ने 5जी परीक्षण के लिए स्वीकृत दूरसंचार गीयर विनिर्माताओं की सूची में एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग, सी-डॉट और रिलायंस जियो की स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। इसका का मतलब है कि चीनी कंपनियां 5जी परीक्षणों का हिस्सा नहीं होंगे। दूरसंचार विभाग का यह कदम इस ओर इशारा करता है कि केंद्र सरकार देश में शुरू होने वाली 5जी दूरसंचार सेवाओं में चीनी कंपनियों को हिस्सा लेने से रोक सकती है। चीन ने अपनी कंपनियों को भारत में 5जी ट्रायल में हिस्सा लेने की मंजूरी न देने के भारत सरकार के फैसले पर अफसोस जताया है। साथ ही चीनी दूतावास ने कहा है कि ये भारत में
व्यवसाय के लिए अच्छा नही होगा।
बता दें कि दूरसंचार कंपनियों को 5जी ट्रायल के लिए इस सप्ताह के भीतर 5जी स्पेट्रम उपलब्ध कराया जाएगा। इसका मतलब है कि रिलायंस जियो , भारती एयरटेल, वोडोफोन-आइडिया और एमटीएनएल-बीएसएनएल को ट्रायल के लिए 5जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जाएगा।
टेलिकॉम कंपनियों को अगले 2 से 3 दिनों में स्पेक्ट्रम उपलब्ध करा दिया जाएगा। ये कंपनियां ऑरिजिनल इक्विमेंट मैन्यूफेक्चरर और तकनीकी प्रदाता कंपनियों एरिक्शन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट के साथ गठजोड़ करेंगी। यहीं नहीं, रिलायंस जियो इंफोकॉम स्वदेशी तकनीक के साथ 5जी मोबाइल नेटवर्क का ट्रायल करेगी. मोबाइल उपभोक्ताओं को बहुत जल्द बहुत तेज गति से चलने वाले 5जी नेटवर्क की सेवा मिलने जा रही है। दूरसंचार विभाग ने कहा है कि टेलिकॉम कंपनियों को 6 माह के लिए 5 जी स्पेक्ट्रम का ट्रायल करने की इजाजत दी जा रही है। इस अवधि में वे दो महीने भी शामिल होंगे, जिसमें इसके लिए जरूरी उपकरणों की खरीद और सेटिंग की जानी है।
दूरसंचार विभाग ने कहा है कि टेलिकॉम कंपनियों को ना सिर्फ शहरों बल्कि ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में भी 5जी मोबाइल नेटवर्क का ट्रायल करना होगा। इसके पीछे मकसद साफ है कि पूरे देश में एक साथ 5जी नेटवर्क का लाभ उपलब्ध कराया जा सके. कोरोना वायरस और भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों की नापाक हरकत को शायद ही भुलाया जा सकता है। यहीं नहीं, चीनी कंपनियों की नापाक इरादे से भारत में काम करने के मामले भी समय-समय पर आते रहे हैं। इसकी वजह से भारतीय आईटी विभाग ने कई चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब भारत सरकार ने चीनी कंपनियों जेडटीई और हुवैई को 5जी ट्रायल से भी बाहर रखना मुनासिब समझा. दूरसंचार विभाग ने कहा है कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में ही 5जी स्पेक्ट्रम का ट्रायल किया जाएगा।
विभाग ने यह भी कहा है कि 4जी की तुलना में 5जी से 10 गुना ज्यादा गति से डाउनलोड किया जा सकेगा। साथ ही स्पेक्ट्रम की एफिसिएंसी भी 3 गुना ज्यादा होगी। दूरसंचार विभाग ने कहा है कि 5जी का ट्रायल अलग नेटवर्क में किया जाएगा ना कि मौजूदा नेटवर्क में 5जी नेटवर्क का ट्रायल गैर-व्यवसायिक आधार पर किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि 1800 एमएचजेड, 2500 एमएचजेड के साथ 800 एमएचजेड और 900 एमएचजेड बैंड पर 5जी नेटवर्क कवर होगा। कंपनियों को 700 मेगाहर्ट्ज पर भी ट्रायल करने के लिए स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जाएगा। टेलिकॉम कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे इन एयरवेव को सिर्फ ट्रायल के लिए इस्तेमाल करेंगे। अगर वे इसका व्यावसायिक कामकाज के लिए इस्तेमाल शुरू करते हैं तो इसे शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा और उन पर गंभीर कार्रवाई भी की जा सकती है।


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