इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा
हद से ज्यादा क्या होगा की,
जीवन का सुख खो दूंगा मैं l
और बिछड़ कर तन्हाई में,
फूट फूट कर रो दूंगा मैं ll
पर चुटकी भर सुख की खातिर
मैं मरने से डर जाऊंगा?
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा
कहो तुम्हारी ज़िद के आगे,
मेरुदंड को धनुष बना दूँ l
स्वाभिमान की थाती को मैं,
तेल छिड़क कर आग लगा दूँ ll
स्वर्णमृग की चाह जगी तो
पीड़ाओं से भर जाऊंगा
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा l
तुमको ऐसा लगता होगा,
अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ हूँ l
पर सच है की सर-शैया पर,
रक्तरंजित हो पड़ा हुआ हूँ ll
ठाना जिसके दिल घर करना
मैं बस उस के घर जाऊंगा
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा l
बौनापन अभिशाप नहीं है
बौनो का भी क़द होता है
अंतहीन हो सफर भले पर
उसका भी मक़सद होता है
डोर सब्र की छूट गईं तो
हद के पार गुजर जाऊंगा
इससे ज्यादा और झुका तो
जीते जी ही मर जाऊंगा


More Stories
पनवेल फार्महाउस में सादगी और जश्न के साथ सलमान खान का 60वां जन्मदिन
उत्तम नगर में अटल गार्डन के विकास कार्यों की हुई शुरुआत
असम की जनसांख्यिकी पर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा बयान
नए साल से पहले दिल्ली पुलिस का बड़ा एक्शन ?
ऋषिकेश एम्स में भर्ती कुख्यात बदमाश विनय त्यागी की मौत
पीएम श्री स्कूलों के शिक्षकों के लिए नवाचार और उद्यमिता पर तीन दिवसीय बूटकैंप आयोजित