नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- देशभर में रामलीला का आयोजन फिर से रंगीन और भव्य रूप में सजने जा रहा है। 22 सितंबर 2025 से विभिन्न शहरों के रामलीला मैदानों में इस पौराणिक नाटक का शुभारंभ होगा। रामलीला केवल नाटक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। यह आयोजन बच्चों, युवाओं और बुज़ुर्गों के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक अनुभव का एक अनोखा अवसर प्रदान करता है।

बुराई पर अच्छाई की जीत का मंचन
इस वर्ष भी रामलीला में अच्छाई की बुराई पर विजय की कथा को जीवंत किया जाएगा। राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जैसे प्रमुख पात्रों की अद्भुत अदाकारी मंच पर देखने को मिलेगी, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय और उत्साहपूर्ण हो जाएगा। माता सीता हरण से लेकर रावण वध तक की घटनाओं का प्रदर्शन हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा। रोशनी, संगीत और कलाकारों की नाटकीय प्रस्तुति हर किसी के दिलों पर गहरी छाप छोड़ने वाली है।

रात का रंग और संदेश
रात के समय मंच पर जगमगाती रोशनी, ढोल-नगाड़ों की गूंज और जय श्रीराम के नारे पूरे माहौल को जीवंत कर देंगे। रावण दहन के समय आसमान में आतिशबाज़ी का दृश्य पूरे आयोजन को और रोमांचक बना देगा। इस नाटक का संदेश साफ है—सत्य की हमेशा विजय होती है और असत्य का अंत निश्चित है।

परिवार और समाज को जोड़ने का माध्यम
रामलीला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह परिवार और समाज को एकजुट करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। बच्चे, युवाओं और बुज़ुर्गों के बीच उत्साह और आनंद का माहौल बनता है। कला, संगीत, नृत्य और अभिनय के इस संगम से दर्शकों को धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश मिलता है। प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी रामलीला न केवल मनोरंजन का माध्यम होगी, बल्कि धर्म और मर्यादा की सीख देने का जरिया भी साबित होगी।


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