• DENTOTO
  • 21 दिसंबर: विश्व साड़ी दिवस के अवसर पर विशेष – साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 4, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    21 दिसंबर: विश्व साड़ी दिवस के अवसर पर विशेष – साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक

    सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

    आज से करीब पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर राज्य के राज दरबार में पांडवों और कौरवों के बीच द्युतक्रीड़ा का आयोजन किया गया। यह क्रीड़ा और कुछ नहीं मामा शकुनी के कुटिल चाल में फंसाने के लिए पांडवों के विरुद्ध कौरवों द्वारा किया गया षड्यंत्र था। इस घटना की अद्भुत बानगी देखिए कि द्युतक्रीड़ा में हारते-हारते पांडवों ने अपनी पत्नी एवं पटरानी द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था, और उसे भी द्युतक्रीड़ा में हार गए। इसके बाद जो घटनाक्रम हुआ वह भगवान कृष्ण और द्रौपदी के वस्त्र की महत्ता का अवर्णनीय बखान करता है। दुर्योधन ने आदेश दिया कि द्रौपदी को निर्वस्त्र किया जाए। अब जिसे आदेश दिया गया था वह था उसका छोटा भाई दु:शासन! दुशासन द्रोपदी के वस्त्र को खींचते-खींचते थक हार कर गिर पड़ा, लेकिन द्रौपदी को निर्वस्त्र नहीं कर पाया। क्यों? क्योंकि वह वस्त्र भगवान की कृपा के साथ बढ़ता ही चला गया। वह वस्त्र और कुछ दूसरा नहीं, बल्कि “साड़ी” ही था।

    दुनिया में जब भी भारतीय परंपरा और रीति-रिवाजों की बात होती है, तो हमारे दिमाग में कई चीजें आती हैं। इनमें से साड़ी सबसे ज्यादा पॉपुलर मानी जाती है। 21 दिसंबर को विश्व साड़ी दिवस मनाया जाता है। इस पारंपरिक भारतीय पोशाक की सुंदरता ने भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साड़ी, भारतीय स्त्री का मुख्य परिधान माना जाता है। इस भारतीय पोशाक को अब विदेशों में भी खासा पसंद किया जाता है। भारत आने वाली विदेशी महिलाएं भी साड़ी पहनकर भारतीयता का एहसास करती हैं। और तो और, विश्व के अनेक देशों की महिलाएं साड़ी पहनने में गर्व महसूस करती हैं।

    हर साल साड़ी दिवस इस पोशाक को बनाने वाले बुनकरों के सम्मान में मनाया जाता है। साड़ी का इतिहास कई हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। साड़ी नाम संस्कृत शब्द “सारिका” से लिया गया है, जिसका मतलब कपड़े का लंबा टुकड़ा होता है। साड़ी दिवस के मौके पर हम आपको भारत में बनने वालीं कई साड़ियों की खासियत बताएंगे।

    21 दिसंबर का दिन दुनियाभर में इस भारतीय परिधान के लिए निश्चित है। भारत में तो इसे एक तरह से अघोषित राष्ट्रीय परिधान भी कह सकते हैं। जब भी कोई खास अवसर या त्योहार होता है, लड़कियां और महिलाएं अधिकांशतः साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं। इसीलिए साड़ी महज़ एक परिधान नहीं, हमारी परंपरा है। यही वजह है कि सालों-साल परदादी, दादी, मां की साड़ियां अगली पीढ़ी को ट्रांसफर होती रही हैं और इसे हमेशा सहेजा गया है। साड़ी को आप जिस रूप में पहने, ये सौंदर्य को निखारने का काम करती है। इसीलिए आज भी हर लड़की के वॉर्डरोब में उसकी पसंद की कुछ खास साड़ियां जरूर होती हैं।

    साड़ी बेहद खूबसूरत परिधान है। ऐसे कम वस्त्र होंगे जो बिना सिले इतने सुंदर और गरिमामय लगते होंगे। हालांकि समय के साथ जैसे-जैसे जीवनशैली में परिवर्तन हुआ है, कपड़ों के चुनाव पर भी असर पड़ा है। साड़ी पहनना कुछ ज्यादा वक्त लगता है, इसका रखरखाव भी थोड़ा मुश्किल है और इसे संभालने में भी वक्त लगता है। इसीलिए अब ये नई पीढ़ी के लिए रोजमर्रा के परिधान की जगह फेस्टिव वियर बन गई है। लेकिन फिर भी चाहे जितने मॉडर्न कपड़े ट्रेंड में आ जाएं, साड़ी का आकर्षण और भव्यता कम नहीं हुई है। यही वजह है कि जब भी ट्रेडिशनल कपड़ों की बात आती है, साड़ी सबसे अव्वल नंबर पर होती है।

    हमारे देश में साड़ी की हजारों वैरायटी उपलब्ध हैं। बांधनी, चुनरी, पटोला, बंगाली, नवारी, कोसा सिल्क, बनारसी सिल्क, कांजीवरम, चंदेरी, माहेश्वरी, पोचमपल्ली, तांतकी, पैठणी सहित हर प्रांत की अपनी खास साड़ी होती है। कपड़े के प्रकार के बाद आती है, प्रिंट और डिजाइन की बारी। और इस आधार पर लाखों तरह की साड़ियां बाजार में मौजूद हैं। अपने मनपसंद कपड़े, रंग और प्रिंट की साड़ियां आपको कुछ सौ रुपये से लेकर लाखों तक में मिल जाएंगी। इसे पहनने के भी सैंकड़ों तरीके हैं। पारंपरिक रूप से साड़ी बांधने के अलावा इसके साथ कई प्रयोग किए जा सकते हैं और अब तो इसके साथ क्रॉप टॉप या पेंट पेयर करके इसे आधुनिक रूप भी दिया जा चुका है। देश ही नहीं, विदेशों में भी साड़ी की काफी डिमांड रहती है और दुनिया के कई देशों में ये कई महिलाओं की स्पेशल चॉइस में शामिल है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox