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    June 8, 2025

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    सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तारी: प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- आज सुप्रीम कोर्ट में अशोका यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को लेकर अहम सुनवाई होनी है। हरियाणा पुलिस ने उन्हें 18 मई को दिल्ली स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया था। इसके बाद 20 मई को सोनीपत की एक स्थानीय अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जो 27 मई तक प्रभावी है।

    किस पोस्ट पर मचा विवाद?
    मामला 8 मई को किए गए एक फेसबुक पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें प्रोफेसर अली खान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और उसमें शामिल कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा की विडंबना को रेखांकित किया था। उन्होंने अपने पोस्ट में यह सुझाव दिया कि सेना की प्रशंसा करने वाले लोग उन लोगों की सुरक्षा की भी माँग करें जो भीड़ हिंसा और बुलडोजर कार्रवाई के शिकार बनते हैं।

    इस पोस्ट को लेकर हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया और बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेड़ी ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज करवाईं। इन एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं –

    धारा 152: राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालना,

    धारा 196: सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देना,

    धारा 79: महिला की गरिमा का अपमान,

    धारा 299: धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना
    जैसे गंभीर आरोप शामिल किए गए हैं।

    गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई
    गिरफ्तारी के बाद अली खान को सोनीपत के राय पुलिस स्टेशन ले जाया गया और दो दिन की पुलिस हिरासत में रखा गया। पुलिस की ओर से सात दिन की अतिरिक्त रिमांड की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया और उन्हें सीधे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

    सुप्रीम कोर्ट की दखल
    वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने 19 मई को सुप्रीम कोर्ट में इस गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अली खान का बयान देशभक्ति से प्रेरित था और उन्हें गिरफ्तार करना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

    सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 20 या 21 मई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी। आज, 21 मई, को जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ डॉ. अली खान महमूदाबाद की याचिका और अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करेगी।

    यह मामला अब केवल एक गिरफ्तारी का नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और संवैधानिक अधिकारों के संरक्षण का बन गया है, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है।

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