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    स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने प्रयागराज महाकुम्भ के लिये किया प्रस्थान

    -उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से हुई भेंटवार्ता, कीवा महाकुंभ का दिया निमन्त्रण

    ऋषिकेश/प्रयागराज/शिव कुमार यादव/अनीशा चौहान/- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ऋषिकेश से प्रयागराज महाकुंभ के लिये मंगलवार को प्रस्थान किया। स्वामी जी ने आज लखनऊ में उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से एक दिव्य भेंटवार्ता की। इसके साथ ही उन्होने 15 से 20 फरवरी 2025 को परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में आयोजित ’कीवा कुम्भ’ के लिए राज्यपाल  आनंदीबेन पटेल को आमंत्रित भी किया।

    बता दें कि कीवा कुम्भ विश्व की पुरातन संस्कृतियों का दिव्य संगम हैं, जो कि ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की थीम पर आधारित है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से महाकुंभ पर विस्तृत चर्चा की। स्वामी ने उन्हें कुम्भ के दौरान परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल प्रयागराज में होने वाले विभिन्न आयोजनों की भावी योजनाओं और धार्मिक, सांस्कृतिक और समाजसेवी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि कीवा महाकुंभ न केवल एक धार्मिक मेला है, बल्कि यह विश्व की पुरातन संस्कृतियों का महासंगम है। यह एक ऐसी अद्वितीय प्रक्रिया है जो समग्र मानवता के लिए कल्याणकारी है। विगत कुम्भ-2019 में कीवा कुम्भ का आयोजन किया गया था जिसका उद्घाटन तत्कालीन उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू  और सुमित्रा महाजन ने किया था। कीवा कुम्भ का उद्देश्य एकजुटता, शांति, और समृद्धि को बढ़ावा देना है।

    स्वामी जी ने बताया कि महाकुंभ के दौरान भारतीय संस्कृति, परंपराओं और विशेषकर सनातन धर्म के महत्व को उजागर करने के लिए कीवा कुम्भ का आयोजन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य न केवल भारत, बल्कि विश्वभर से आने वाले श्रद्धालुओं और साधकों के बीच पुरातन संस्कृति संवाद स्थापित करना है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी के उत्कृष्ट मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में कुम्भ सुरक्षित, स्वच्छ, समृद्ध और हरित होने जा रहा है। कुम्भ में पर्यावरण सुरक्षा का भी विशेष ध्यान दिया गया है।

    इस अवसर पर स्वामी जी ने परमार्थ निकेतन के नवनिर्मित ‘परमार्थ त्रिवेणी पुष्प भारत दर्शनम् की भी विशेष चर्चा करते हुये कहा कि यह स्थल भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन कर उभरेगा। परमार्थ त्रिवेणी पुष्प ’’भारत दर्शनम’’ स्थल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसे भारत के गौरवमयी इतिहास के साथ विरासत और विकास की खूबसूरत इबारत के रूप में निर्मित किया गया है।
    राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती  का आमंत्रण स्वीकार करते हुए महाकुंभ की महिमा की सराहना की और कुम्भ के आयोजन को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानवता को एकजुट करने का भी एक अद्वितीय माध्यम है। स्वामी द्वारा भेंट किए गए रूद्राक्ष के पौधे को स्वीकार करते हुए  आनंदीबेन पटेल ने इस पौधे को हरित महाकुंभ के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया और कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह पहल महत्वपूर्ण है। महाकुंभ, प्रयागराज हर बार एक दिव्य उत्सव का रूप धारण करता है, और इस वर्ष का महाकुम्भ 144 वर्षों के बाद विशेष संयोग लेकर आ रहा है जो सम्पूर्ण समाज के लिए एक जागरूकता और समृद्धि का मंच बनेगा।

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