
नई दिल्ली/अनिशा चौहान/- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं की परीक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। वर्ष 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य बोर्ड परीक्षा के “उच्च-दांव” यानी अत्यधिक दबाव वाले स्वरूप को समाप्त करना है।
CBSE द्वारा स्वीकृत नए मानदंडों के अनुसार, पहली परीक्षा फरवरी में, जबकि दूसरी परीक्षा मई में आयोजित की जाएगी। दोनों परीक्षाएं पूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी।
मुख्य बातें जो आपको जाननी चाहिए:
पहली परीक्षा (फरवरी) सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगी।
दूसरी परीक्षा (मई) वैकल्पिक होगी, यानी छात्र चाहें तो इसमें भाग ले सकते हैं।
शीतकालीन सत्र वाले स्कूलों के छात्रों को दोनों में से किसी भी चरण में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा।
आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) एकेडमिक सत्र के दौरान केवल एक बार ही किया जाएगा।
दोनों परीक्षाओं के लिए अलग-अलग परिणाम घोषित किए जाएंगे।
फरवरी चरण का परिणाम अप्रैल में और मई चरण का परिणाम जून में घोषित किया जाएगा।
फरवरी में किए गए थे मसौदा मानदंड सार्वजनिक
CBSE ने फरवरी 2025 में इस नए ढांचे का ड्राफ्ट (मसौदा) जारी किया था, जिसे हितधारकों से सुझाव लेने के लिए सार्वजनिक किया गया था। अब इस मसौदे को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी गई है।
नई शिक्षा नीति (NEP) का मानना है कि छात्रों को पुनर्परीक्षा का अवसर देना चाहिए, जिससे परीक्षा का मानसिक दबाव कम हो और विद्यार्थी अपनी सच्ची क्षमता के अनुसार प्रदर्शन कर सकें।
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