नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली की आबकारी नीति मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर बुधवार (5 अप्रैल) को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। मनीष सिसोदिया फिलहाल ईडी की कस्टडी में हैं सिसोदिया के वकील ने दलील दी कि उनके खिलाफ मनी लांड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है। प्रिडिकेट ऑफेंस को लेकर बहुत शोर मचाया जा रहा है, लेकिन ईडी का पूरा केस सीबीआई के केस पर आधारित है। कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर आगे की बहस के लिए 12 अप्रैल की तारीख तय की और उनकी न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक बढ़ाई।
इससे पहले कोर्ट में सिसोदिया के वकील ने कहा कि पीएमएलए एक्ट के सेक्शन 3 के तहत किसी भी तरह का अपराध सिसोदिया ने नहीं किया है। कोर्ट को यह देखना होगा कि क्या सेक्शन 3 के तहत कोई उल्लंघन किया गया है या नहींं मनीष सिसोदिया की तरफ से वकीलों ने एक नोट कोर्ट को सौंपा। सिसोदिया के वकील ने कहा मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद लगभग 500 रेड की गई। कई लोगों से पूछताछ की गई, गिरफ्तार किया गया, लेकिन कभी भी किसी ने भी सिसोदिया पर गवाह या सबूतों को प्रभावित करने का आरोप नहीं लगाया।
“सिसोदिया के खिलाफ कोई आरोप नहीं“
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के वकील विवेक जैन ने कहा कि अपराध की आय का एक भी पैसा ना तो उनके पास है और ना ही उनके परिवार के किसी सदस्य के पास मिला. उन्होंने उनके घर पर छापा मारा है, बैंक खातों की जांच की है. वे उनके पैतृक स्थान भी गए। उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है. ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है। मनी लांड्रिंग के अपराध से उनका कोई लेना देना नहीं है। जांच एजेंसी के अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार उनके खिलाफ आरोप लगा रहे हैं। इन अधिकरियों को नियंत्रण करने वाले एलजी ने उनके खिलाफ शिकायत की हैं
“जांच एजेंसी सबूत नहीं दे पाई“
सिसोदिया के वकील ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चल सके कि सिसोदिया ने मनी लांड्रिंग का अपराध किया हो या उसमें शामिल हों। अब तक जांच एजेंसी ये सबूत नहीं दे पाई है कि उनके पास पैसा आया तो वो आया कहां से और वह पैसा गया कहां। मनीष सिसोदिया ने एक्साइज पॉलिसी अकेले नहीं दायर की बल्कि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर ने इस पर मुहर भी लगाई। ये पॉलिसी दिल्ली के उपराज्यपाल के पास भी गई थी।
वकील ने और क्या कहा?
उन्होंने कहा कि जहां तक पॉलिसी के बनाने की बात है, पॉलिसी से कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने की बात है ये सारे आरोप प्रिडिकेट ऑफेंस के तहत लगाए गए हैं। कैबिनेट ने जीओएम बनाया, जीओएम सभी राज्यों और केंद्र सरकार में भी होता है। जीओएम डेटा के आधार पर पॉलिसी में बदलाव का सुझाव देता है। इसके आधार पर आबकारी विभाग पॉलिसी को ड्राफ्ट करता है। जीओएम पॉलिसी को ड्राफ्ट नहीं करता है।
सिसोदिया के वकील ने कहा कि कोई भी किसी के खिलाफ कुछ भी आरोप लगा रहा है. ये दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है विजय नायर मेरे इशारे पर काम कर रहा था. सिर्फ कुछ अधिकारियों के बयान पर मुझे दोषी नहीं करार दिया जा सकता. सिर्फ एक बयान कि नियमों को ताक पर रखकर ठेका देने की बात कही जा रही है, लेकिन इसको सिद्ध करने के लिए कोई भी साक्ष्य या सबूत नहीं है.
“कैबिनेट में सिर्फ मैं ही शामिल नहीं था“
पूर्व डिप्टी सीएम के वकील ने कहा कि एक संजय गोयल का बयान है, जो एक आयुक्त थे, उन्होंने कहा कि जीओएम ने अन्य राज्यों में आबकारी नीति सहित बहुत सारे डेटा मांगे हैं। ऐसा नहीं है कि जीओएम बिना किसी मंथन के काम कर रहा थां सिफारिशों को कैबिनेट की ओर से स्वीकार किया जाता है. कैबिनेट में सिर्फ मैं ही शामिल नहीं था। आबकारी विभाग की जिम्मेदारी पॉलिसी तैयार करने की है। मुझसे पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। मेरे पास 9 विभाग थे।
उन्होंने कहा कि पॉलिसी आबकारी विभाग की ओर से तैयार की गई थी। इस मसौदे के बाद नीति योजना विभाग के पास चली गई। इसे मंजूरी दी गई थी। फिर वित्त और कानून विभाग की ओर से अनुमोदित किया गया। इनमें से किसी भी विभाग ने इस पर आपत्ति नहीं जताई। ये एलजी के पास भी गया। कोर्ट देखें कि पॉलिसी अप्रूवल के लिए कितनी जगहों तक गई।
एलजी के आरोपों पर उठाए सवाल
सिसोदिया के वकील ने कहा कि 20 अप्रैल 2021 को और 19 मई 2021 को संशोधनों का सुझाव दिया, जिसे कैबिनेट की ओर से अनुमोदित किया गया। पॉलिसी में 12 फीसदी प्रॉफिट मार्जिन, संबंधित कंपनियों के क्लॉज शामिल हैं। ये क्लॉज केवल एल-1 और होलसेलर्स के लिए थे। एलजी ने कहा कि इसे होलसेलर्स और रिटेलर्स पर भी लागू करें और अब वे कह रहे हैं कि 12 फीसदी जादुई मार्जिन कहां से आ गया है। इसे सभी ने स्वीकार किया और अब केवल सिसोदिया को दोष दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आरोप लगाया जा रहा है कि सीबीआई जांच की सिफारिश के दौरान फोन को बदला गया। उसके बाद दूसरे के नाम पर नया फोन और सिम लिया गया। जांच एजेंसी के पास चार मोबाइल फोन हैं, लेकिन जो आरोप मुझपर लगाया जा रहा है उसमें कुछ तो लॉजिक होना चाहिए। कैबिनेट फाइल के साथ छेड़छाड़ का भी कोई सबूत नहीं है। सिर्फ कुछ अधिकरियों के बयान हैं। एक साल या उससे ज्यादा समय बाद इस तरह का आरोप लगाया गया जबकि उनके आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
ईडी ने मांगा समय
ई़डी के वकील ने सिसोदिया के वकील की दलील पर जवाबी दलील देने के लिए समय मांगा। ईडी के वकील ने कहा कि मामले में कुछ नए साक्ष्य और सबूत सामने आए हैं। उनको कोर्ट के सामने रखना है. ईडी ने कहा कि हवाला ऑपरेटर से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले हैं। हम कुछ नए सबूत जुटाने की प्रक्रिया में हैं। सिसोदिया के वकील ने ईडी की ओर से समय मांगने जाने का विरोध किया। सिसोदिया के वकील ने कहा कि मामले में देरी से रोज मेरे अधिकारों का हनन हो रहा है।
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