नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली व एनसीआर में पिछले काफी समय से साइबर ठगी के मामलो ंमें रिकार्ड बढोतरी दर्ज की गई है। साइबर ठग दिल्ली से हजारों किलोमीटर की दूर से महज एक फोन कॉल के जरीये आपके जीवन भर की कमाई को लूट ले जाते हैं। इसके लिए उन्हें आपके पास तक आना जरूरी नहीं। दिल्ली पुलिस के लिए बढ़ता साइबर अपराध इस समय चुनौती बना हुआ है। इस नए तरह के क्राइम से निपटने के लिए पुलिस भी अब एक्सपर्ट तैयार कर रही है। लेकिन लोगों की जागरुकता ऐसे क्राइम को होने से पहले ही रोक सकती है। द्वारका के डीसीपी एम हर्षवर्धन ने इस पर लोगों को साइबर सुरक्षा से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां शेयर करते हुए कहा कि आप जितनी जल्दी साइबर ठगी की रिपोर्ट दर्ज करायेंगे पुलिस उतनी जल्दी ही आपका पैसा वापस लाने में जुट जायेगी और अगर देर हुई तो पुलिस भी आपका पैसा नही ला पायेगी।
साइबर ठगों के निशाने पर सबसे ज्यादा बुजुर्ग
डीसीपी एम हर्षवर्धन ने बताया कि द्वारका में काफी संख्या में बुजुर्ग रहते हैं। अपने रोजमर्रा के कामों के लिए बाहर जाने की बजाय वे तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं। वहीं युवाओं की तुलना में यह वर्ग जल्दी घबरा जाता है। मसलन किसी ने फोन पर कहा कि आपका बिजली कनेक्शन कटने वाला है तो ये घबराकर सामनेवाले की बातों में आ जाएंगे। साथ ही, अपने साथ हुए इस तरह के अपराध को बताने में भी झिझकते हैं और रिपोर्ट करने में भी काफी देरी कर देते हैं। इन्हीं वजहों से साइबर अपराधी बुजुर्गों को अपना आसान शिकार समझते हैं।
साइबर क्राइम में गया पैसा वापस आने की कितनी उम्मीद ?
द्वारका डीसीपी ने जानकारी देते हुए बताया कि अकेले द्वारका जिले में अब तक 12 करोड़ 30 लाख रुपये तक का साइबर फ्रॉड दर्ज हुआ है। इसमें से करीब पौने तीन करोड़ रुपये दिल्ली पुलिस ने लोगों को वापस दिलवाए हैं। अगर समय पर रिपोर्ट किया जाए तो पैसा वापस आने के काफी ज्यादा चांस रहते हैं। दरअसल, पैसा जब आपके अकाउंट से ट्रासंफर हुआ, उसे जितनी जल्दी आप रिपोर्ट करेंगे उसके अकाउंट से निकलने के चांस उतने कम होंगे। पुलिस को आप जैसे ही रिपोर्ट करेंगे, वह उस अकाउंट को फ्रीज करवाती है, जिसमें आपका पैसा गया है। अगर तब तक उस अकाउंट में पैसा है तो वह आपको मिल जाएगा। लेकिन रिपोर्ट में देरी हुई और यह पैसा दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया तो संभावनाएं कम होती चली जाती हैं।
साइबर क्राइम को सुलझाने में पुलिस को लगता है काफी समय
डीसीपी ने बताया कि साइबर अपराधी बहुत दूर से ऑपरेट करते हैं। कुछ प्रदेशों के चुनिंदा जिले साइबर अपराधियों का गढ़ हैं। ऐसे में तकनीकी समस्या आती है। दूसरे राज्यों की पुलिस आदि से परमिशन लेने और तालमेल में समय लग जाता है। द्वारका में जो साइबर क्राइम हो रहे हैं, उनमें लगभग 90 प्रतिशत साइबर क्राइम मेवात के नूंह, राजस्थान के भरतपुर, झारखंड के जामताड़ा और देवघर, पश्चिम बंगाल के मालदा और बालाकोट, बिहार के नालंदा से हो रहे हैं। इन जगहों पर यह क्राइम इसलिए अधिक है, क्योंकि यहां सिम कार्ड आसानी से उपलब्ध हैं, रेड करना आसान नहीं है, फर्जी अकाउंट आसानी से मिल जाते हैं।
अगर किसी के साथ साइबर फ्रॉड हो तो वह क्या करे?
डीसीपी एम हर्षवर्धन ने कहा कि जितनी जल्दी हो सके, इसकी रिपोर्ट करें। यह प्रक्रिया अब काफी आसान हो गई है। कोशिश करें कि दस मिनट के अंदर-अंदर रिपोर्ट दर्ज हो जाए। साइबर फ्रॉड की शिकायत 1930 नंबर पर कॉल करके की जा सकती है। इसके अलावा पद वेबसाइट पर शिकायत की जा सकती । संबंधित जिले के थाने में आप शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। पुलिसकर्मियों को इस तरह के क्राइम से निपटने के लिए रिफ्रेशर कोर्स करवाए जा रहे हैं। कई बार ट्रेनिंग के लिए बाहर भी भेजा जाता है, ताकि उन्हें नई तकनीकों के बारे में पता चल सके। दिल्ली पुलिस अकादमी में भी ऐसे प्रोग्राम होते हैं। ऑनलाइन ट्रेनिंग समय-समय पर करवाई जाती है।
साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों को क्या करना चाहिए?
डीसीपी ने बताया कि जागरूकता साइबर क्राइम को रोकने का सबसे कारगर तरीका है। यही वजह है कि हम द्वारका के स्कूलों, सोसायटियों, विभिन्न आरडब्ल्यूए, महिलाओं, बुजुर्गों, साइक्लिस्टों आदि की असोसिएशन के साथ साइबर क्राइम पर अवेयरनेस ड्राइव चलाते हैं। अनजान नंबर से आई कॉल पर घबराने की बजाय अलर्ट रहने की जरूरत है।
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