नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- अपनी वैक्सीनेशन पाॅलिसी को लेकर लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उसे उम्मीद है कि इस साल के अंत तक देश में सबको कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन लग जाने की उम्मीद जताई है।
सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी में अलग-अलग कीमतों, वैक्सीन शॉर्टज और धीरे-धीरे रोलआउट को लेकर आलोचना हो रही है। इन बिंदुओं पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर केंद्र, राज्यों को 45 से ऊपर वाले आयुवर्ग के लिए तो 100 फीसदी वैक्सीन दे रहा है, लेकिन 18-44 आयुवर्ग के लिए क्यों बस 50 फीसदी सप्लाई कर रहा है?
कोर्ट ने पूछा कि 45 से ऊपर की जनसंख्या के लिए केंद्र पूरी वैक्सीन खरीद रहा है लेकिन 18-44 आयुवर्ग के लिए खरीद में बंटवारा कर दिया गया है। वैक्सीन निर्माताओं की ओर से राज्यों को 50 फीसदी वैक्सीन उपलब्ध है। कीमतें केंद्र तय कर रहा है और बाकी निजी अस्पतालों को दिया जा रहा है, इसका (असली) आधार क्या है?
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एलएन राव और एस रविंद्र भट- की बेंच ने सरकार से पूछा कि श्आपकी दलील थी कि 45 से ऊपर के लोगों में मृत्यु दर ज्यादा है लेकिन दूसरी लहर में इस वर्ग के लोगों में ज्यादा खतरा नहीं है, 18-44 के लोग ज्यादा संकट में हैं. अब अगर वैक्सीन खरीदने का लक्ष्य है तो सरकार बस 45 से ऊपर वालों के लिए क्यों वैक्सीन खरीद रही है? कोर्ट ने सरकार के डिजिटल वैक्सीनेशन को लेकर भी आलोचना की और कहा कि वैक्सीनेशन के लिए कोविन प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता का यह डिजिटल बंटवारा गांवों में वैक्सीनेशनने की कोशिशों पर असर डालेगा क्योंकि वहां इंटरनेट उतना सुगम नहीं ह।. कोर्ट ने पूछा कि सबको कोविन ऐप पर रजिस्टर करना है, लेकिन इस डिजिटल बंटवारे के चलते क्या वास्तव में यह अपेक्षा की जा सकती है कि गांवों में सभी लोग खुद को कोविन पर रजिस्टर कर पाएंगे?
केंद्र ने इसपर कहा कि श्गांवों में लोग कंप्यूटर सेंटरों पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और उन्हें वैक्सीन लग जाएगी। कोर्ट ने कहा कि क्या यह बहुत व्यावहारिक हल है? कोर्ट ने यह भी कहा कि काम के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिए पता नहीं यह तरीका भी कितना मददगार होगा।
-वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही सरकार, केंद्र व राज्यों के लिए अलग-अलग रेट को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार,
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