नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- देश के 17वें उपराष्ट्रपति चुने गए चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर बेहद खास और प्रेरणादायक माना जा रहा है। छात्र आंदोलनों से शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव के बाद राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। भाजपा संगठन में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा बने। उनकी छवि एक विनम्र और सहज नेता की रही है, जिन्हें उनके समर्थक ‘तमिलनाडु का मोदी’ भी कहते हैं।

संगठन में मजबूत पकड़ और लंबा अनुभव
राधाकृष्णन ने संघ से सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और भाजपा में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। 2004 से 2007 तक वे तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर की रथ यात्रा की, जिसका उद्देश्य नदियों का आपस में जोड़ना, आतंकवाद उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करना, अस्पृश्यता खत्म करना और नशे के खिलाफ अभियान चलाना था। 2020 से 2022 तक उन्हें केरल भाजपा का प्रभारी बनाया गया। संगठनात्मक कार्यों और प्रशासनिक अनुभव के चलते वे भाजपा के भरोसेमंद नेता माने जाते हैं।
राज्यपाल से उपराष्ट्रपति तक
उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से पहले राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल के तौर पर कार्यरत थे। जुलाई 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इससे पहले, फरवरी 2023 में वे झारखंड के राज्यपाल बने और इस दौरान उन्होंने तेलंगाना तथा पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला। इससे पहले भी उन्होंने दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत करने में अहम योगदान दिया था।

संसद से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक
राधाकृष्णन दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। वे 1998 और 1999 में संसद पहुंचे, लेकिन 2004, 2014 और 2019 में उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ा। सांसद रहते उन्होंने कपड़ा मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता की और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच समिति में भी भूमिका निभाई। 2004 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने।
पारिवारिक जीवन और पृष्ठभूमि
ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्तूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। उनके माता-पिता सीके पोन्नुसामी और जानकी अम्माल ने उन्हें महान दार्शनिक और देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से प्रेरित होकर यह नाम दिया। परिवार की इस आशा को उन्होंने साकार भी किया। उनकी पत्नी सुमति हैं और परिवार में एक बेटा व एक बेटी है।

शिक्षा और खेलों में भी आगे
राधाकृष्णन ने 1978 में तूतीकोरिन स्थित वीओसी कॉलेज से बीबीए की पढ़ाई की। इसके बाद राजनीति विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की और ‘सामंतवाद का पतन’ विषय पर पीएचडी की। पढ़ाई के दौरान वे टेबल टेनिस चैंपियन रहे और लंबी दूरी की दौड़ में भी सक्रिय भागीदारी की। उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल खेलने का भी शौक है।
विभिन्न पदों पर जिम्मेदारी
2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहां उनके नेतृत्व में नारियल रेशे के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। उनके कामकाज ने उन्हें संगठन, प्रशासन और कूटनीति – तीनों क्षेत्रों में एक संतुलित और भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया।


More Stories
किसान दिवस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का राष्ट्रव्यापी लाइव संवाद
इंश्योरेंस फ्रॉड सिंडिकेट का पर्दाफाश, द्वारका साउथ पुलिस की बड़ी कार्रवाई
कांकेर घटना पर जेसीसीजे का तीखा रुख, अमित जोगी बोले—बंद सही, वजह भ्रामक
शिक्षा में नवाचार को नई दिशा देगी केंद्र की पहल
भारत–बांग्लादेश संबंधों में बढ़ता तनाव, वीजा सेवाएं बंद होने से हालात और बिगड़े
दिल्ली साइबर पुलिस ने QR कोड फ्रॉड का किया पर्दाफाश, राजस्थान से आरोपी गिरफ्तार