नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- लोकसभा चुनावों के रूझानों के बाद अब स्थिति स्पष्ट होती जा रही है। इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी तो इंडिया गंठबंधन भी सरकार बनाने की दौड़ में आ गया है। जिसे देखते हुए कांग्रेस व भाजपा में राजनीतिक मीटिंगों का दौर शुरू हो गया है। एनडीए और इंडिया ने छोटी पार्टियों व निर्दलियों को अपने पक्ष में लाने के लिए जोड़तोड़ का अभियान शुरू कर दिया है।
शाम 4 बजे भाजपा के आला नेता राजनाथ सिंह व अमितशाह तथा संतोष आगे की रणनीति के लिए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के घर पंहुचे है। इसमें भाजपा कैसे सरकार बनायेगी और उसकी क्या रणनीति होगी, इस पर मंथन किया जायेगा। संभावना के अनुरूप पीएम मोदी भी इस मीटिंग में शामिल होंने के लिए पंहुच गए हैं।
वहीं कांग्रेस भी अब काफी उत्साहित नजर आ रही है। कांग्रेस ने भी बुधवार को इंडी गठबंधन की बैठक बुलाई है। वहीं मंगलवार को पार्टी चुनाव आयोग से भी मुलाकात कर रही है। हालांकि इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा बनी हुई है कि बिना बहुमत के ही कांग्रेस ये क्या कर रही है। क्या कांग्रेस कोई खेल खेल रही है या फिर अपनी हार छिपाने के लिए ये नाटक कर रही है। हालांकि कांग्रेस को अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता भाजपा व पीएम मोदी पर हमलावर है और पीएम से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
राजनीति गलियारों में तरह-तरह की अफवाहें भी उड़ाई जा रही है कि शरद पवार ने जेडीयू नेता नीतीश कुमार व टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू से बात की है जबकि स्वयं शरद पवार ने इस बात से इंकार किया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी अब नीतीश कुमार के गीत गाने लगे है। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने भी अपने दोनो उपमुख्यमंत्रियों के व भाजपा नेताओं के साथ बैठक शुरू कर दी है। अगले दो दिन सरकार बनाने को लेकर काफी अहम बताये जा रहे है। अब देखना यह है कि कौन नेता किसके साथ जायेगा और कौन कैसे अपने हित साधेगा।
इस बार सरकार निर्माण में निर्दलियों की भूमिका भी अहम होने वाली है। हालांकि अब करीब-करीब स्थिति स्पष्ट होती जा रही है। जिसकारण दोनो गठबंधनों के नेता मीटिंगों में जुट गए है। अगर इंडिया गठबंधन का सीट समीकरण देखे तो इंडिया गठबंधन को 231 सीटे मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसमें अगर जेडीयू के 14 और टीडीपी के 16 सीटों को मिला दिया जाए तब भी इनका आंकड़ा 261 ही पंहुचता है। इसके बाद भी बहुमत के आंकड़े के लिए 11 सीटों की जरूरत होगी जिसके लिए निर्दलियों पर भी इंडी गठबंधन के नेताओं की नजर टिकी हुई हैं। हालांकि यह असंभव सा लगता है लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नही होता है।
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