
नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज में विवाद होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में एक नया विवाद उस समय उत्पन्न हुआ जब भारतीय कप्तान विराट कोहली और एक महिला पत्रकार के बीच मेलबर्न एयरपोर्ट पर बहस हो गई। यह घटना 19 दिसंबर को ब्रिस्बेन में तीसरे टेस्ट के बाद भारतीय टीम के मेलबर्न पहुंचने पर हुई।
एयरपोर्ट पर कुछ ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों ने बिना अनुमति के विराट कोहली और उनके बच्चों की तस्वीरें लेने की कोशिश की। विराट कोहली ने इसका सख्त विरोध किया और कहा, “मेरे बच्चों के साथ मुझे गोपनीयता चाहिए। आप मुझसे पूछे बिना तस्वीरें नहीं ले सकते।” उन्होंने रिपोर्टर से तस्वीरें डिलीट करने को भी कहा। बाद में मामला शांत होने के बाद विराट ने हाथ मिलाकर इसे समाप्त किया, लेकिन इस घटना ने मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की।
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने विराट कोहली के इस व्यवहार पर आलोचना करते हुए उन्हें ‘बुली’ यानी धमकाने वाला कहा। ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार जोंस ने दावा किया कि विराट कोहली ने महिला रिपोर्टर नैट योआनिडिस से गुस्से में बात की और उन्हें अपमानित किया। जोंस ने यह भी कहा, “विराट को इस बात पर गुस्सा आया कि कैमरे उन पर फोकस कर रहे थे। यह व्यवहार उनसे उम्मीद नहीं थी।” ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कोहली के इस सख्त रवैये को पत्रकारिता के मानकों के खिलाफ बताया और इसकी कड़ी आलोचना की।
यह पहला मौका नहीं है जब ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भारतीय खिलाड़ियों को निशाना बनाया हो। 2020-21 की सीरीज में मोहम्मद सिराज को नस्लीय टिप्पणी का सामना करना पड़ा था, जबकि रवींद्र जडेजा को अंग्रेजी न बोलने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी। इसके अलावा यशस्वी जायसवाल को भी मीडिया की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
विराट कोहली और महिला पत्रकार के बीच इस विवाद ने एक बार फिर से भारतीय क्रिकेट और ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के रिश्तों को ताजा किया है। हालांकि, विराट ने मामले को शांत करने की कोशिश की, लेकिन यह विवाद फिर से यह सवाल खड़ा करता है कि मीडिया और खिलाड़ियों के बीच की सीमाएं कहां हैं।
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