
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/- स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए मिड-डे-मील की शुरूआत की गई थी। लेकिन आज यही योजना प्रशासन की लापरवाही के चलते बच्चों के लिए अभिशाप बन गई है।
विश्व की सबसे बड़ी निःशुल्क खाद्य वितरण योजना की शुरूआत 1995 में गरीब बच्चों को स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए की गई थी। लेकिन आज दोपहर के भोजन में कई राज्यों में लापरवाही बरती जा रही है जिसकारण मिड-डे-मील में कीड़े निकल रहे हैं। विडंबना यह है कि सरकारी तंत्र और नेताशाही इस पर ध्यान नही दे रही है जिसकारण बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है और क्यों प्रशासन इस और ध्यान नही दे रहा है।

जब यह योजना देश में शुरू हुई थी तब अधिकांश राज्यों ने ’मिड-डे-मील’ योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को कच्चा अनाज देना शुरू किया था। परन्तु 28 नंवबर, 2002 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर बच्चों को पका कर भोजन देना शुरू किया गया। एक अच्छी योजना होने के बावजूद संबंधित विभागों द्वारा इसे लागू करने और भोजन पकाने में लापरवाही तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी मानकों की अनदेखी के चलते इस योजना को लेकर प्रश्न उठने लगे हैं। समय-समय पर ’मिड-डे-मील’ की सब्जियों में सांप, छिपकलियों तथा अन्य कीड़े-मकौड़े आदि पाए जाने से बच्चों की सेहत पर असर पड़ रहा है। पिछले 90 दिनों में तो यह समस्या और भी विकराल रूप धारण कर चुकी है। जिसकारण अब इस योजना पर प्रश्नात्मक सवाल उठने शुरू हो गए है।

पिछले 90 दिन में सामने आई निम्न घटनाओं से स्पष्ट है :
’ 25 अप्रैल, 2025 को ’मोकामा’ (बिहार) में ’मेकरा’ स्थित सरकारी स्कूल में मिड-डे-मील में बच्चों को परोसने के लिए बनाई गई सब्जी में मरा हुआ सांप निकलने पर रसोइए ने सांप तो निकाल कर फैंक दिया परंतु वही सब्जी बच्चों को खिला दी जिससे 200 से अधिक बच्चे बीमार हो गए
’ 4 जुलाई को ’दरभंगा’ (बिहार) के ’बोयारी’ गांव स्थित सरकारी स्कूल में बच्चों को परोसा गया ’मिड-डे-मील’ खाने के तुरंत बाद 30 बच्चे उल्टी तथा पेट दर्द की शिकायत करने लगे, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ’मिड-डे-मील’ के इंचार्ज संजय कुमार चौधरी ने पकाई सब्जी में छिपकली होने की पुष्टिड्ढ की है।
’ 4 जुलाई को ही ’धनेठा’ (बिहार) के सरकारी स्कूल में बच्चों को परोसा गया ’मिड-डे-मील’ खाते ही छात्राएं पेट में दर्द और घबराहट की शिकायत करने लगीं। मामले की जांच करने पर भोजन में कीड़े पाए गए।
’ 5 जुलाई को ’फुलपरास’ (बिहार) के एक स्कूल में बच्चों को परोसे गए ’मिड-डे-मील’ में कीड़े मिलने से छात्रों में आक्रोश फैल गया। उन्होंने भोजन फैंक दिया और खूब हंगामा किया।
’ 10 जुलाई को ’आरा’ (बिहार) में ’खननीकलां’ स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में चावलों के साथ ही मरी हुई ’छिपकली’ उबाल देने से विषाक्त हुए चावल खाकर 48 बच्चे बीमार हो गए।
’ 11 जुलाई को ’प्रयागराज’ (उत्तर प्रदेश) में ’रामपुर दुआरी’ स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को परोसे गए मिड-डे-मील’ में कीड़े निकले।
’ 15 जुलाई को ’मीरगंज’ (उत्तर प्रदेश) में ’सवइया’ स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को ’मिड-डे-मील’ में परोसी सब्जी में कीड़े पका दिए जाने के कारण ’मिड-डे-मील’ खाने वाले बच्चे पेट दर्द के साथ-साथ उल्टियां करने लगे और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
’ 22 जुलाई को इस्माइलपुर और पट्टी शहजादपुर स्थित अनेक सरकारी स्कूलों में ’मिड-डे-मील’ योजना के अंतर्गत बच्चों के लिए भेजे गए आटे में कीड़े और जाले लगे हुए पाए गए। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने ’मिड-डे-मील’ के लिए भेजे जाने वाले राशन की गुणवत्ता की नियमित रूप से जांच करने की मांग की है ।
उक्त सारे उदाहरण ’मिड-डे-मील’ योजना की लापरवाहीपूर्ण निगरानी और बच्चों की सेहत से खिलवाड़ के मुंह बोलते उदाहरण हैं। हालांकि बच्चों को परोसने से पहले भोजन को एक अध्यापक सहित 2 वयस्कों द्वारा खा कर जांचना और कच्चे सामान व बर्तनों आदि की शुद्धता के नियमों का पालन करना जरूरी है परन्तु कहीं-कहीं इन नियमों का पालन ही नहीं किया जाता। इन तमाम मामलों की जांच करके लापरवाही में शामिल स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। इसी से अन्य स्कूलों के स्टाफ में भी संदेश जाएगा और ऐसे मामलों में कमी आएगी और बच्चों की सेहत से खिलवाड़ रुकेगा तथा बच्चों को पौष्टिक भोजन नसीब हो सकेगा।
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