वाशिंगटन/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/ – अमेरिका के विदेश विभाग ने एक बार फिर यूक्रेन की मदद के लिए सैन्य सहायता पैकेज की घोषणा की है। विदेश विभाग ने 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता का एलान किया है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सहायता पैकेज जारी करने की जानकारी दी। बिल्कंन ने कहा कि सहायता पैकेज यूक्रेन को 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक के हथियार और सैन्य उपकरण प्रदान करता है। इसमें गोला-बारूद सहित अन्य सैन्य उपकरण शामिल है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह अंतिम सहायता पैकेज है, जो बाइडन प्रशासन बिना सांसदों की रजामंदी के यूक्रेन को दे सकता है। इसके बाद अब बिना कांग्रेस की इजाजत के अमेरिका यूक्रेन की मदद नहीं कर पाएगा।
सहायता पैकेज के लिए इसी महीने अमेरिका गए थे जेलेंस्की
बता दें, इसी महीने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका के दौरे पर आए थे। उन्होंने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने रूस के खिलाफ जारी युद्ध के बीच सहायता राशि की मांग की थी। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की थी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के सहायता पैकेज का प्रस्ताव फिलहाल कांग्रेस में लंबित है। इसी पैकेज को पास करवाने के लिए जेलेंस्की ने बाइडन सहित विभिन्न अधिकारियों से मुलाकात की थी। जेलेंस्की ने कांग्रेस नेताओं ने अनुरोध किया है कि वे जल्द फंडिंग की अनुमति दे दें।
बाइडन ने रूस पर भी साधा पर निशाना
जेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान बाइडन ने कहा था कि कांग्रेस को छुट्टियों पर जाने से पहले यूक्रेन को लंबित राशि देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था कि हमने देखा है कि जब तानाशाह मौत और विनाश की कीमत नहीं चुकाते तो क्या होते हैं। उन्हें बढ़ावा मिलता है और वह बढ़ते रहते हैं।
रूस की आक्रमकता में आई कमी
एक मी़डिया रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने जब युद्ध शुरू किया था तो उसके पास 3,60,000 सैनिक थे लेकिन युद्ध के मैदान में देश ने अपने 3,15,000 जवानों को खो दिया। मॉस्को के अब तक 3500 में से 2,200 टैंक तबाह हो चुके हैं। इनके अलावा, 13,600 पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक में से 13,600 भी नष्ट हो गए है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि नवंबर के अंत तक रूस जमीनी बलों के हथियारों के अपने भंडार का एक चौथाई से अधिक खो चुका है। इतने बड़े नुकसान से कहीं न कहीं रूस की आक्रमता में कमी आई है, लेकिन फिर भी मॉस्को हार मानने को तैयार नहीं है।


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