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    रिश्वत मांगने के आरोप में किया स्पेशल जज का तबादला

    -हाईकोर्ट ने जांच को सही ठहराया, आरोपी को नही दी कोई राहत

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- जीएसटी केस के एक मामले में आरोपी को जमानत देने के बदले रिश्वत मांगने के आरोप में कोर्ट के रिकॉर्ड कीपर पर एफआईआर दर्ज होने के चलते दिल्ली हाईकोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट के एक स्पेशल जज का तबादला कर दिया है।

    जीएसटी केस मामले में हुई कार्रवाई
    यह कार्रवाई उस मामले के बाद हुई है जिसमें 2023 में दर्ज एक जीएसटी केस में आरोपी को जमानत देने के बदले रिश्वत मांगने के आरोप लगे थे। इस मामले में कोर्ट के रिकॉर्ड कीपर के खिलाफ 16 मई 2025 को भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी।

    हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं
    हाईकोर्ट ने 20 मई को स्पेशल जज का तबादला आदेश जारी किया। आरोपी कोर्ट स्टाफ ने एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी। हालांकि, राज्य सरकार को नोटिस जारी किया गया है।

    अतिरिक्त सरकारी वकील ने दिया तर्क
    हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले से जुड़ी जरूरी जानकारी जनवरी 2025 में दिल्ली सरकार के कानून विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी गई थी और इसे कोर्ट की एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी के सामने भी रखा गया था। उन्होंने यह भी कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

    एफआईआर के पीछे बदले की भावना का आरोप
    याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर वकील मोहित माथुर ने कहा कि यह एफआईआर 16 मई 2025 को उस आदेश के बाद दर्ज की गई, जिसमें स्पेशल जज ने एंटी करप्शन ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस में पूछा गया था कि क्यों न उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला हाईकोर्ट को भेजा जाए। याचिकाकर्ता ने बताया कि वह उसी कोर्ट में अहलमद (रिकॉर्ड कीपर) के पद पर तैनात था और एफआईआर उसी दिन दर्ज की गई।

    सीबीआई जांच की मांग
    याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मांग की है कि इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्रांच से हटाकर सीबीआई को सौंपी जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके। या फिर यह निर्देश दिया जाए कि सभी आरोपों की जांच सीबीआई का एक ही अधिकारी करे, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने एंटी करप्शन ब्रांच के दो अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की मांग की है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार, ब्लैकमेलिंग, गवाहों को धमकाने, दस्तावेजों की हेराफेरी और सरकारी रिकॉर्ड नष्ट करने जैसे गंभीर अपराध किए हैं।

    व्हिसलब्लोअर एक्ट के तहत सुरक्षा की मांग
    याचिकाकर्ता ने खुद को एंटी करप्शन ब्रांच के अधिकारियों से प्रताड़ना से बचाने के लिए व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, 2011 की धारा 11(2) के तहत सुरक्षा की मांग की है।

    जमानत याचिका खारिज
    इस बीच, आरोपी कोर्ट स्टाफ ने ट्रायल कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी, जिसे 22 मई को स्पेशल जज दीपाली शर्मा ने खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि गिरफ्तारी होती है तो एसीबी आरोपी को सीआरपीसी की धारा 41 और 41। (बीएनएसएस की धारा 35) के तहत पहले नोटिस दे।

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