नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- रतन टाटा, जो कि टाटा संस के एक सफलतम चेयरमैन रहे और अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, उन्होंने बुधवार, 9 अक्टूबर की रात ब्रीच कैंडी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। जब वह वाणप्रस्थ आश्रम में अपना जीवन शांति से बिता रहे थे, तो अक्सर उनके साथ एक खास शख्स मौजूद रहता था। यह शख्स सुख और दुख की हर घड़ी में रतन टाटा के साथ खड़ा रहा।
इस युवक का नाम है शांतनु नायडू। वह रतन टाटा के बेहद करीबी और उनके सहायक थे। महज 31 साल के शांतनु में कुछ खास बात थी, जिसने देश के महान उद्योगपति रतन टाटा को भी प्रभावित किया। दोनों के बीच कोई पारिवारिक संबंध नहीं था, फिर भी रतन टाटा का शांतनु नायडू से खास जुड़ाव था।
शांतनु नायडू का रतन टाटा से जुड़ाव कैसे हुआ?
शांतनु नायडू ने अपने करियर की शुरुआत टाटा ट्रस्ट में डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में की थी। उनकी मेहनत और प्रतिभा ने रतन टाटा को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने खुद शांतनु को फोन करके अपने सहायक के रूप में काम करने का प्रस्ताव दिया। साल 2022 में शांतनु नायडू रतन टाटा के ऑफिस में जनरल मैनेजर के पद पर नियुक्त हुए।
शांतनु का जन्म 1993 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। वह मुंबई के रहने वाले हैं और व्यवसायिक जीवन में रतन टाटा को स्टार्टअप्स में निवेश के लिए सलाह देते रहे हैं।
पशु प्रेम के कारण बढ़ी नजदीकियां
रतन टाटा और शांतनु नायडू की अप्रत्याशित दोस्ती का प्रमुख कारण उनके बीच जानवरों के प्रति साझा प्रेम था। दोनों की मुलाकात 2014 में हुई, जब शांतनु ने आवारा कुत्तों को रात में कारों की टक्कर से बचाने के लिए एक रिफ्लेक्टिव कॉलर (चमकदार पट्टियां) डिजाइन की थीं। इस पहल से प्रभावित होकर रतन टाटा ने शांतनु को उनके साथ काम करने का आमंत्रण दिया।
नौकरी के अलावा, शांतनु Goodfellows नामक एक कंपनी के मालिक भी हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों को समग्र सहायता प्रदान करती है। इस कंपनी की अनुमानित वैल्यू करीब 5 करोड़ रुपए है।
शांतनु नायडू की रतन टाटा के जीवन में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका रही कि उन्होंने रतन टाटा के साथ कई अहम फैसले भी लिए। उनके रिश्ते ने दिखाया कि उम्र और अनुभव के बीच एक गहरा तालमेल हो सकता है, जहाँ एक युवा का दृष्टिकोण और एक अनुभवी व्यक्ति का ज्ञान मिलकर न केवल व्यापार बल्कि समाज सेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
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