
मानसी शर्मा /- महिला अफसरों के प्रमोशन के लिए सेना को 31 मार्च 2024 तक अपनी पॉलिसी तैयार करनी होगी। शीर्ष न्यायालय में सुनवाई के दौरान डी. वाई. चंद्रचूड़ ने साफ लहजे में अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया आर. वेंकटरमानी से कहा कि बताई गई तारीख तक सेना अपनी पॉलिसी तैयार कर ले। इसके तैयार होने के बाद अटार्नी जनरल शीर्ष न्यायालय में इस बाबत एक हलफनामा दाखिल करें।
बेंच में चंद्रचूड़ के अलावा कौन-कौन थे शामिल?
चंद्रचूड़ की बेंच 4 दिसंबर को दिए फैसले में कहा कि महिला अफसरों को प्रमोशन देने के लिए सेना संजीदगी से तय वक्त सीमा के अंदर अपना कार्य पूरा कर ले। बेंच में चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। बेंच उन महिला अफसरों की रिट पर सुनवाई कर रही थी जो लेफ्टिनेंट कर्नल से ब्रिगेडियर के पद पर पदोन्नति चाहती हैं। रिट दायर करने वाली अफसरों का कहना था कि सेना के नियम-कायदे महिला अफसरों के लिहाज से ठीक नहीं हैं। सेना महिला अफसरों को प्रमोशन से वंचित करने के लिए भेदभाव की नीति अपना रही है।
आर्मी हेडक्वार्टर संजीदगी से अपना काम कर रहा है
अटार्नी जनरल ने सुनवाई के दौरान कहा कि आर्मी हेडक्वार्टर संजीदगी से अपना काम कर रहा है। वो महिला अफसरों की पदोन्नति के मसले में एक पॉलिसी तैयार करने में शिद्दत से जुटा है। तब सीजाआई ने उनको समय सीमा की याद दिलाई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से मिली थी सेना में एंट्री
सनद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 3 ऐतिहासिक फैसलों से महिलाओं के सेना में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया था। फरवरी 2020 में टॉप कोर्ट ने सेक्रेट्री मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस बनाम बबिता पूनिया के केस में कहा था कि सेना में परमानेंट कमीशन से महिलाओं को बाहर रखना भेदभाव पूर्ण फैसला है।
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