नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना दिल्ली के स्मारकों का जीर्णोद्धार और सौदर्यीकरण के काम में तेजी लाने के लिए बार-बार स्मारक साइटों का दौरा कर रहे है ताकि दिल्ली को एक विरासत के शहर के रूप में विकसित किया जा सके। इसी कड़ी में उपराज्यपाल ने दक्षिण दिल्ली में संजय वन और महरौली पुरातत्व पार्क का दौरा किया और वहां चल रहे सौदर्यीकरण और जीर्णोद्धार कार्यों का जायजा लिया। यह उपराज्यपाल का 7वां दौरा था।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सोमवार को दक्षिण दिल्ली में संजय वन और महरौली पुरातत्व पार्क का दौरा किया और वहां दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा करवाए व्यापक जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कार्यों की प्रगति का निरीक्षण और उनकी समीक्षा की। इन कार्यों को पूरा करने के लिए पहले से ही इस मानसून की शुरुआत से पूर्व की समय सीमा निर्धारित की जा चुकी है। आज से पूर्व उन्होंने यहां का 4 मार्च 2024 को दौरा किया था और डीडीए के अधिकारियों को संजय वन में स्थित अनंग ताल और लालकोट बावली, किला राय पिथौरा में जल निकायों को भरने के लिए तुरंत काम शुरू करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा उन्होंने महरौली पार्क में स्थित ऐतिहासिक बलबन के मकबरे, जमाली कमाली मस्जिद और राजों की बावली के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की देखरेख में संरक्षण और जीर्णोद्धार के निर्देश दिए।
इन स्मारकों को राजधानी के लिए नई सार्वजनिक संपत्ति के रूप में विकसित किया जाएगा और इससे दिल्ली को एक विरासत के शहर के रूप में उभरने में मदद मिलेगी। दोनों ही जगहों का अधिकतर काम पूरा हो चुका है। पिछले साल अक्टूबर में जब उपराज्यपाल ने पुनर्निर्मित महरौली पुरातत्व पार्क का उद्घाटन किया था, तभी से यहां पर बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। वीके सक्सेना ने इन दोनों स्थलों का 4 फरवरी 2023 को पहली बार दौरा किया था और तभी से वह लगातार इन स्थलों पर बहाली के काम की निगरानी कर रहे हैं। हाल ही में इन स्थलों को एएसआई द्वारा डीडीए को सौंप दिया गया है, जो स्मारकों की सुरक्षा और इसके जीर्णोद्धार में सहायता कर रहा है। इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय ने भी हाल ही में इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि डीडीए संरक्षण कार्यों को निष्पादित करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करेगा, जबकि एएसआई अपनी सभी विशेषज्ञता के साथ संरक्षण कार्यों की निगरानी करेगा।
महरौली पुरातत्व पार्क जो कुतुबमिनार से करीब है वो लगभग 200 एकड़ में फैला है और यह करीब 100 से अधिक ऐतिहासिक स्मारकों और खंडहरों के लिए जाना जाता है। संजय वन के पास कई ऐतिहासिक स्मारक और भी हैं, जिनमें किला राय पिथौरा भी शामिल है, जो कभी तोमर वंश के पृथ्वीराज चौहान की राजधानी थी। वहां के अन्य स्मारकों में राजों की बावली और अनंगताल बावली शामिल हैं, जिनका अब जीर्णोद्धार चल रहा है। उपराज्यपाल ने संजय वन में बावली (बावड़ियों) का दौरा किया और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जल निकायों और पूरे क्षेत्र को संरक्षित किया जाना चाहिए और सूख रहे नालों और कुओं को तुरंत बहाल किया जाए। उन स्थानों की भी पहचान की गई जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम और कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
उपराज्यपाल ने डीडीए और एएसआई के अधिकारियों को संभावित संग्रहालय प्रदर्शन के लिए बिखरे हुए नक्काशीदार पत्थरों और अवशेषों की पहचान करने और संरक्षित करने का भी निर्देश दिया। पिछले साल अक्टूबर में सक्सेना ने पुनर्निर्मित कुली खान के मकबरे और मेटकाफ के बोट हाउस, एक गेस्ट हाउस और सर्कुलर हाउस का भी अनावरण किया था, जहां अब एक कैफे सफल रूप में चल रहा है।
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