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    भारत में ट्रेडिंग का भविष्य है एआई- सर्वजीत सिंह विर्क

    -सर्वजीत सिंह विर्क फिनवैसिया के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक हैं

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/ – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संचालित (एआई) कंप्यूटर और रोबोट के प्रति आकर्षण 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध से ही अस्तित्व में है, जिसकी शुरुआत ’द विजार्ड ऑफ ओज’ के “हार्टलेस“ टिन मैन से हुई थी। 1940 के दशक तक कई गणितज्ञ, वैज्ञानिक और दार्शनिक एआई के सिद्धांतों और अवधारणाओं की खोज कर रहे थे। हालांकि, फरवरी 1996 में ही इंसानों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बीच का रिश्ता हमेशा के लिए बदल गया जब आईबीएम द्वारा विकसित पहले एआई निर्माण, डीप ब्लू, एक सुपर कंप्यूटर, ने एक औपचारिक शतरंज मैच में मौजूदा विश्व चैंपियन गैरी कास्परोव को हरा दिया। यह एक महत्वपूर्ण पल था, जिसने एआई और मानव दोनों से युक्त भविष्य के मार्ग को प्रशस्त करने का काम किया।
                 एआई हर क्षेत्र पर हावी हो रहा है, और पूंजी बाजार भी इससे अलग नहीं हैं। कंप्यूटिंग ने पहली बार वित्तीय व्यापार में क्रांति ला दी जब इसने एक सेकंड के एक अंश में बड़ी संख्याओं की गणना करना और पलक झपकते ही बदलते बाजारों पर नज़र रखना सक्षम कर दिया। आज, एआई ट्रेडिंग सिस्टम वित्त इतिहास में अन्वेषण की दूसरी लहर का नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि, तकनीकी से पहले व्यापार और निवेश बहुत अधिक जटिल और भिन्न थे।

    आइए एक नजर अब तक की यात्रा पर डालते हैं।

    एआई से पहले ट्रेडिंग और निवेश
    इंटरनेट और ट्रेडिंग और निवेश एप्स से पहले ट्रेडर्स निवेश निर्णयों के लिए स्टॉक विश्लेषकों, अनुसंधान विश्लेषकों और मीडिया कवरेज पर भरोसा करते थे। अनुसंधान विश्लेषकों ने स्टॉक, बॉन्ड और म्युचुअल फंड जैसे विभिन्न वित्तीय उपकरणों पर गहन शोध और विश्लेषण करके खुदरा ग्राहकों को मूल्यवान जानकारी और सिफारिशें प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अनुसंधान विश्लेषकों पर निर्भर रहना एक विकल्प था, क्योंकि ट्रेडर्स ने वित्तीय बाजार में अधिक समय बिताना शुरू किया और फंडामेंटल और टेक्निकल विश्लेषण करना तेजी से आवश्यक हो गया।
               फंडामेंटल विश्लेषण में किसी कंपनी के स्टॉक की व्यापक जांच शामिल होती है, जिसमें उसके आंतरिक मूल्य को निर्धारित करने के लिए उसके वित्तीय, मात्रात्मक और गुणात्मक पहलुओं का आकलन शामिल होता है। दूसरी ओर, टेक्निकल विश्लेषण मुख्य रूप से रणनीति बनाने के लिए किसी विशिष्ट स्टॉक की मूल्य गतिविधियों का अध्ययन करने पर निर्भर करता है। अधिकांश तकनीकी या टेक्निकल विश्लेषणों का उद्देश्य चल रहे स्टॉक रुझानों की पहचान करना और भविष्य में उलटफेर के संभावित संकेतों का आकलन करना है।
              खुदरा व्यापारियों को टेक्निकल और फंडामेंटल रिसर्च करने के लिए स्टॉक की सिफारिश करने वाले रिसर्च हाउसेज की रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था। हाल के वर्षों में, सक्रिय व्यापार में लगे खुदरा ग्राहकों के लिए चार्टिंग लाइब्रेरी सहित विभिन्न उपकरण सुलभ हो गए हैं। प्रचुर मात्रा में सामग्री, संकेतक, उपकरण और व्यापारिक ज्ञान उपलब्ध होने के बावजूद, गहन शोध, सीखने और बैक-टेस्टिंग के संचालन के लिए अभी भी महत्वपूर्ण समय और प्रयास की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, बाज़ार की अस्थिरता और अप्रत्याशित परिस्थितियां अक्सर कई व्यक्तियों को पूंजी बाज़ार में भाग लेने से हतोत्साहित करती हैं।

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