नई दिल्ली/राजनीति/शिव कुमार यादव/- मोदी जी का 400 पार का नारा शायद भाजपा के लिए मुसीबत बन गया हैं। पहले चरण के बाद दूसरे चरण में भी भाजपा शासित राज्यों में वोट प्रतिशत कम होने से भाजपा की टेंशन बढ़ गई है। अब इसको विपक्ष मोदी के खिलाफ जोड़कर भाजपा पर हमला कर रहा हैं कि अगर भाजपा 400 सीटें जीतकर संसद में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी और यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर देगी। अगर यह बात मतदाताओं के मन में बैठ गई तो भाजपा के लिए यह दांव उल्टा भी पड़ सकता हैं और भाजपा शासित राज्यों में वोटिंग कम होना कहीं न कही इसी बात को दर्शाता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अगर मतदाता मोदी के 400 पर के नारे से खुश होते तो कम से कम भाजपा शासित राज्यों में तो वोटिंग की भरमार होनी चाहिए थी। अब भाजपा बैकफुट पर दिखाई दे रही है और मोदी और शाह भाजपा नेताओं के बड़बोलेपन पर सफाई दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी हर रैलियों में अबकी बार, 400 पार का नारा लगवा रहे हैं। पहले चरण की 102 सीटों पर और दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 सीटों पर हुए मतदान का रुझान कम दिख रहा है। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश में उम्मीद से कम वोटिंग ने सबकी टेंशन बढ़ा दी है। खुद भाजपा भी हैरान होगी। राजनीतिक एक्सपर्ट का मानना है कि कभी-कभी हम खुद अपने प्रोपेगंडा का शिकार हो जाते हैं। महंगाई और बेरोजगारी जैसे आज कई बड़े मुद्दे हैं, जिस पर भाजपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। तीसरे टर्म में लौटना किसी के लिए भी बड़ी मुश्किल हो सकता है। आज वोटिंग में जो उदासीनता दिख रही है, वोटों का प्रतिशत गिरा है, उसकी वजह यही बड़े मुद्दे हो सकते हैं। हाल ही में आए सीएसडीएस के सर्वे में कहा गया है कि बेरोजगारी-महंगाई बड़ा मुद्दा है, जिस पर कोई बात नहीं कर रहा है। शायद इसीलिए वोटर्स अनमने ढंग से वोट कर रहा है।
क्या 400 के नारे को विपक्ष बना रहा अपने लिए चुनावी हथियार
राजनीतिक एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं कि भाजपा या मोदी 400 पार का जो नारा दे रहे हैं, वो खुद उनके लिए भी मुश्किल में डाल सकता है। इससे तीन आशंकाएं जन्म ले रही हैं। पहला यह कि 400 पार के नारे को चुनावी रैलियों में विपक्ष अपने हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। विपक्ष दलित या पिछड़ा वर्ग बहुल इलाकों में बार-बार यह बात कह रहा है कि भाजपा संविधान संशोधन करके दलितों और पिछड़ों का आरक्षण खत्म करना चाहती है। ऐसे में अगर विपक्ष यह कहानी गढ़ने में कामयाब हो जाता है तो वोटिंग के वक्त जनता का मूड बदल सकता है। दरअसल, भाजपा को दलितों और ओबीसी का भी वोट खूब मिलता रहा है। ऐसा देखा गया है कि राज्य में भले ही सरकार किसी की हो, मगर केंद्र में ज्यादातर लोग मोदी की सरकार ही चाहते हैं।
इस नारे से मतदान में कोताही बरत सकते हैं भाजपा समर्थक वोटर्स
दूसरी बात, 400 पार के नारे से भाजपा समर्थक वोटर्स मतदान में कोताही बरत सकते हैं। उनको तो यह लग रहा है कि भाजपा तो जीत ही रही है। ऐसे में पोलिंग बूथ जाने की जहमत कौन उठाए? साथ ही अब तो राममंदिर जैसा उत्साह भी नहीं है। क्योंकि उस समय तो यह लग रहा था कि भाजपा तो इस बार राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर ही जीत जाएगी। लेकिन मार्च आते-आते तस्वीर बदल गई। सबको ये लगने लगा कि सिर्फ मंदिर के भरोसे रहना ठीक नहीं है, क्योंकि माहौल बदल चुका है। पहले चरण के मतदान में इस बात के संकेत छिपे हो सकते हैं।
बार-बार संविधान संशोधन करने की बात पर भड़क सकते हैं वोटर्स
तीसरी बात यह है कि भाजपा के कई बड़बोले नेताओं की वजह से भी पार्टी को नुकसान पहुंच रहा है। अनंत हेगड़े, लल्लू सिंह या ज्योति मिर्धा के बार-बार संविधान संशोधन करने की बात से मतदाता भड़क सकता है। इसीलिए मोदी और शाह दोनों ही अपनी रैलियों में अपने नेताओं के भूल सुधार में लगे हैं।
हेगड़े, ज्योति मिर्धा और गोविल ने की थी संविधान संशोधन की वकालत
दरअसल, हाल ही में भाजपा नेता अनंत हेगड़े ने ऐसा बयान दिया कि जिसे विपक्ष ने हाथोंहाथ लपक लिया। हेगड़े ने कहा-लोकसभा चुनाव में 400 सीट जीतने के बाद संविधान बदल देंगे। इससे पहले ज्योति मिर्धा, अरुण गोविल और लल्लू सिंह भी संविधान में संशोधन की बात कर चुके हैं। अपने नेताओं की ऐसी बयानबाजी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने मोर्चा संभालते हुए सफाई दी है। भाजपा ने हेगड़े के बयान से तो किनारा ही कर लिया।
पहले से हल्ला मचाने से छिटक सकता है वोटर्स
एक्सपर्ट कहते हैं कि चुनाव जीतने से पहले संविधान संशोधन को लेकर हल्ला मचाना ठीक नहीं है। वन नेशन वन पोल, यूनिफॉर्म सिविल कोड और आरक्षण हटाने जैसे मुद्दों पर चुनाव बाद रणनीतिक रूप से बात रखनी चाहिए। अभी से हल्ला मचाने से मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। देश में अगड़ी जातियों को आज भी लगता है कि आरक्षण हटना चाहिए। वहीं, दलितों और पिछड़ों के लिए यह बेहद संवेदनशील मुद्दा है। ऐसे में चुनावी माहौल में इसे छेड़ना ठीक नहीं है। भाजपा के बड़बोले नेताओं पर लगाम कसकर रखनी चाहिए।
भाजपा दलितों, अल्पसंख्यकों और ओबीसी आरक्षण खत्म करना चाहती है- विपक्ष
एक्सपर्ट का कहना है कि विपक्ष अब लगातार यह आरोप लगा रहा है कि भाजपा 400 सीटें इसलिए जीतना चाहती है, ताकि संविधान में संशोधन कर सके और संविधान संशोधन करके देश से आरक्षण खत्म कर सके। हाल ही में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह दावा किया कि भाजपा 400 पार का नारा इसलिए दे रही है, क्योंकि वह संविधान संशोधन करना चाहती है। भाजपा पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों को मिले आरक्षण को नया संविधान बनाकर खत्म करना चाहती है। सदियों से 4-5 फीसदी प्रभुत्ववादी सोच के लोग 90-95 फीसदी लोगों को अपना गुलाम बनाए रखना चाहते हैं। इसीलिए इस बार पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक मिलकर भाजपा को हराएंगे। संविधान और आरक्षण को बचाएंगे।
दो चरणों की वोटिंग से बढ़ सकती है टेंशन
एक्सपर्टों के मुताबिक, जिस तरह से दो चरणों की वोटिंग में मतदाताओं के रुझान दिख रहे हैं, वो 400 पार के लक्ष्य को पाने के लिए टेंशन बढ़ाने वाले हो सकते हैं। कम वोटिंग से कुछ कहा नहीं जा सकता है। खासकर भाजपा के प्रभाव वाले इलाकों में कम वोटिंग पार्टी के लिए संकट में डाल सकता है। ऊपर से इन प्रदेशों में जातियों का समीकरण भी है, जिसे साधना भी जरूरी है। अब देखते हैं ऊंट आखिर किस करवट बैठता है।
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