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    भाजपा ने की बजट-2023 की तारीफ, विपक्ष ने बताया जनविरोधी

    -कहा- सरकार अमीरों की हमदर्द, गरीबों की हुई अनदेखी

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- बजट-2023 के जारी होते ही बजट प्रस्तावों पर देशभर में बहस छिड़ गई है। जहां भाजपा व उसके सहयोगी इस बजट की तारीफ कर रहे हैं वहीं विपक्ष लगातार बजट पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है और इसे जनविरोधी बता रहा है।
                                  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को आम बजट पेश कर दिया है। भाजपा ने केंद्रीय बजट को एक सर्व-समावेशी और दूरदर्शी करार दिया और कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को और गति देगा। वहीं, विपक्ष ने इसे जन-विरोधी बताते हुए कहा कि नौकरियां पैदा करने के लिए कोई विजन नहीं, महंगाई से निपटने की कोई योजना नहीं है।
                     बजट प्रस्तावों ने भाजपा और विपक्ष के बीच अमृत काल बनाम मित्र काल की बहस भी छेड़ दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह बजट गरीबों और मध्यम वर्ग सहित एक आकांक्षी समाज के सपनों को पूरा करने वाला है। राहुल गांधी ने कहा कि यह केवल अमीरों के लिए तैयार किया गया है। मोदी ने केंद्रीय बजट को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अमृत काल में पहले बजट ने विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत आधार स्थापित किया है।
                     उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को सशक्त करने के लिए सरकार ने पिछले वर्षों में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिससे जीवन सुगमता सुनिश्चित हुई है। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, इस साल का बजट भारत के विकास पथ में नई ऊर्जा का संचार करता है। भाजपा ने देश की आजादी के 75वें वर्ष 2022 से 2047 के 100वें वर्ष के बीच की अवधि को अमृत काल के रूप में वर्णित करती है।

    मोदी सरकार के संकल्प को देगा और गति
    भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि आम बजट दलितों, आदिवासियों, किसानों, पिछड़े और उत्पीड़ित वर्गों को सशक्त और उत्थान करेगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, बजट आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के मोदी सरकार के संकल्प को और गति देगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्रीय बजट से देश में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है जो लोगों को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर ले जाएगा और अगले कुछ दिनों में ’शीर्ष तीन’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा।

    नौकरियां पैदा करने और महंगाई से निपटने के लिए कोई  विजन नहीं
    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि बजट में गरीबों के लिए कुछ नहीं है। मित्र काल बजट में नौकरियां पैदा करने या महंगाई से निपटने के लिए कोई विजन नहीं है। असमानता को दूर करने का कोई इरादा नहीं है। 1 फीसदी सबसे अमीर 40 फीसदी संपत्ति के मालिक हैं, 50 फीसदी सबसे गरीब 64 फीसदी जीएसटी का भुगतान करते हैं, 42 फीसदी युवा बेरोजगार हैं – फिर भी, पीएम को परवाह नहीं है।

    जनभागीदारी होगी मजबूत : गडकरी
    केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, यह बजट अमृत काल में एक नए भारत की नींव रखेगा और 130 करोड़ भारतवासियों का जीवन बेहतर और खुशहाल करेगा। यह बजट सबका साथ, सबका प्रयास के जरिये ’जनभागीदारी’ की जरूरत को समझते हुए अमृत काल के लिए मजबूत वित्तीय क्षेत्र के साथ एक तकनीक-संचालित और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था को दिशा देने वाला  है। लोक कल्याणकारी बजट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का धन्यवाद।

    नाम बड़े और दर्शन छोटे : मल्लिकार्जुन
    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कहा कि मोदी सरकार का बजट जनता का भाजपा पर लगातार गिरते विश्वास का सबूत है। बजट में बेरोजगारी का हल ढूंढ़ने की कोई भी कोशिश नहीं की गई है। खरगे ने कहा कि हर घर महंगाई है, आम इन्सान की आफत आई है। बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में कोई भी कमी आए। आटा, दाल, दूध, रसोई गैस इन सबका दाम बढ़ाकर मोदी सरकार ने देश को लूटा है। बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़ों के लिए कुछ भी नहीं।

    महत्वपूर्ण क्षेत्रों की अनदेखीः गहलोत
    केंद्रीय बजट की यदि राजस्थान के संदर्भ में बात की जाए तो यह बजट प्रदेश के लिए घोर निराशाजनक रहा। राजस्थान राज्य के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण परियोजना ईआरसीपी को राष्ट्रीय दर्जा देने की हमारी वाजिब मांग को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किये जाने से प्रदेशवासियों को निराशा हुई है। केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय एवं महिला बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की अनदेखी की गई। बजट में सभी क्षेत्रों में आम लोगों की उम्मीदों को नजरअंदाज किया गया है। इस बार भी बजट में कई सपने दिखाए गए हैं, जिनका धरातल पर हकीकत से कोई वास्ता नहीं है। ऐसे में गरीब और आम लोग छलावा महसूस कर रहे हैं।

    क्षेत्रीय पार्टियों और वाम दलों ने कहा, राज्यों की हुई अनदेखी
    तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ ही वामदलों ने आम बजट को निराशाजनक बताया है। इन दलों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्यों से उनके संसाधन छीन रही है और उनके बजट आवंटन को भी कम कर रही है।
                    द्रमुक नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन ने आरोप लगाया, केंद्र सारा पैसा लेने की कोशिश कर रहा है, लेकिन राज्यों को कुछ नहीं दे रहा।पेट्रोलियम उत्पादों पर कर में कटौती को लेकर बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन सरकार ने कोई घोषणा नहीं की। उसने राज्यों के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन यह भी कहा है कि इसके लिए उन्हें अपने स्तर पर ही व्यवस्था करनी होगी।

    राजकोषीय संघवाद पर गंभीर हमला
    माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, केंद्र और राज्यों के बीच संबंध और तनावपूर्ण होने जा रहा है और राजकोषीय संघवाद पर अब गंभीर हमला हो रहा है। राज्य जीएसटी के बाद संसाधन नहीं जुटा सकते हैं। उन्हें नई शर्तों के तहत उधार लेने की अनुमति नहीं है।  राज्यों को भीख का कटोरा लेकर केंद्र के पास आने के लिए मजबूर किया है।

    महाराष्ट्र की उपेक्षा
    शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यों में शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पर्याप्त आवंटन नहीं करने का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि गुजरात और कर्नाटक की तुलना में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने महाराष्ट्र पर ध्यान नहीं दिया है। हमें महाराष्ट्र के लिए कुछ घोषणा की उम्मीद थी, जो सिर्फ एक राज्य भर नहीं है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है।

    हरित विकास पथ का खाका : बीजद
    बीजद के अमर पटनायक ने कहा कि जीडीपी के हिस्से के रूप में राज्यों को आवंटन कम करने से उन्हें अपने प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों के वित्त पोषण में परेशानी होगी। इसके लिए उन्हें वैकल्पिक संसाधनों की तलाश करनी होगी, जिसमें कर्ज भी शामिल है। हालांकि, उन्होंने बजट के कुछ पहलुओं की सराहना करते हुए कहा कि यह देश के लिए एक बहुत ही स्पष्ट हरित विकास पथ का खाका तैयार करता है और ऊर्जा परिवर्तन को भी स्पष्ट किया है।

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