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बॉम्बे हाईकोर्ट ने तटीय सड़क लेआउट पर बीएमसी से पूछे सवाल,

-बीएमसी ने कहा- अब डिजाइन में बदलाव संभव नहीं

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/मुंबई/शिव कुमार यादव/- बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई तटीय सड़क परियोजना के लेआउट और डिजाइन से संबंधित मुद्दों को लेकर बीएमसी से कई सवाल किए और पूछा कि क्या अदालत इस बारे में विचार कर सकती है, इसके जवाब में बीएमसी ने कहा है कि इस परियोजना का लगभग 80 फीसदी काम खत्म हो चुका है और इस अवस्था में बदलाव करना संभव नहीं है।
               मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ शहर के वास्तुकार एलन अब्राहम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें परियोजना में मौलिक बदलाव किए बिना, अधिक सुलभ खुली जगह बनाने के लिए पुनः प्राप्त भूमि पर आने वाले तटीय सड़क (दक्षिण) के हिस्से के डिजाइन में बदलाव की मांग की गई थी।

बृहद मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एस्पी चिनॉय और वकील जोएल कार्लोस ने बुधवार को अदालत को बताया कि परियोजना पर लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। बीएमसी ने भी याचिका के जवाब में अपना हलफनामा दायर किया जिसमें दावा किया गया कि परियोजना के किसी भी हिस्से के डिजाइन या लेआउट में कोई भी बदलाव अब न तो संभव है और न ही व्यावहारिक है और इस स्तर पर किसी भी बदलाव की भारी लागत और समय लगेगा।
             हलफनामे में कहा गया है कि मुंबई तटीय सड़क परियोजना का डिजाइन और निर्माण विशेषज्ञ निकायों द्वारा किए गए विस्तृत अध्ययन पर आधारित है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि पुनर्ग्रहण की सीमा अधिक है और परियोजना का निर्माण भूमि के अंदरूनी हिस्से पर किया जा सकता था।
             पीठ ने कहा कि वह याचिका पर 27 सितंबर को आगे सुनवाई करेगी। वहीं चिनॉय ने अदालत को बताया कि नगर निकाय के पास जमीन वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि समुद्र तट पर निर्माण करना असंभव है, जहां घुमावदार और टेढ़ी-मेढ़ी सड़कें हैं।
             बीएमसी ने अपने हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ता परियोजना के डिजाइन और लेआउट में पर्याप्त संशोधन की मांग कर रहा था। हलफनामे में दावा किया गया कि तटीय सड़क का डिजाइन और लेआउट अत्यधिक जटिल और तकनीकी मुद्दा है। इसमें कहा गया कि परियोजना पर 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। हलफनामे में कहा गया है कि 14 अगस्त, 2023 तक, 9,383 करोड़ रुपये की कुल निर्माण लागत में से 5,783 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

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