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  • बच्चों के अभिभावकों को ही उठाना होगा कक्षा के एसी का खर्च- एचसीबीववस

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    बच्चों के अभिभावकों को ही उठाना होगा कक्षा के एसी का खर्च- एचसीबीववस

    -दिल्ली हाईकोर्ट ने पीआईएल की खारिज, अभिभावकों से स्कूल चुनते समय सुविधाओं पर विचार करने की दी सलाह

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- प्राइवेट स्कूलों में सुविधाओं के नाम पर मची लूट को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में पीआईएल लगाने वाले अभिभावकों को कोर्ट की तरफ से तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने अभिभावकों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि स्कूल कक्षा के एसी का खर्च बच्चों के माता-पिता को ही वहन करना होगा। ऐसे में हाईकोर्ट के एक और आदेश से पेरेंट्स की जेब ढीली हो सकती है। दरअसल, हाईकोर्ट में दायर एक पीआईएल को लेकर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, जिसने स्कूल प्रबंधन को राहत दी है।
             कोर्ट ने स्कूल का आदेश 2 मई को जारी किया गया। याचिका में अदालत से दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग को एक निजी स्कूल को कक्षाओं में एयर कंडीशनिंग की सुविधा देने के लिए फीस वसूलने से रोकने के निर्देश देने की मांग की गई थी। इस पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल में एयर कंडीशनिंग का खर्च पेरेंट्स को उठानी होगा, क्योंकि यह स्टूडेंटस को दी जाने वाली सुविधा है, जो लाइब्रेरी फीस जैसे चार्जेस से अलग नहीं है। यह टिप्पणी कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की डिवीजन बेंच ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए दी।

    पेरेंट्स को देनी होगी स्कूलों में एसी की लागत
    बेंच ने अपने 2 मई के फैसले में कहा “स्कूल में बच्चों को प्रदान की जाने वाली एयर कंडीशनिंग सेवाओं की लागत माता-पिता को उठानी होगी, क्योंकि यह बच्चों को प्रदान की जाने वाली सुविधा है और लैब फीस और स्मार्ट क्लास फीस जैसे अन्य चार्जेस से अलग नहीं है। स्कूल का चयन करते समय अभिभावकों को स्कूल में बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं और कीमत का भी ध्यान रखना होगा। ऐसी सुविधाएं देने का वित्तीय बोझ अकेले स्कूल प्रबंधन पर नहीं डाला जा सकता है।“

    बेंच ने खारिज की याचिका
    टीओआई के मुताबिक यह जनहित याचिका मनीष गोयल द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली का एक निजी स्कूल, जहां उनका बच्चा पढ़ रहा था, एसी सुविधा के लिए प्रति माह 2,000 रुपये ले रहा था। याचिकाकर्ता ने कहा कि छात्रों को एसी उपलब्ध कराने का दायित्व स्कूल प्रबंधन का है और यह सुविधा स्कूल को अपने फंड और संसाधनों से प्रदान करनी चाहिए। खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने कहा, “वर्तमान जनहित याचिका खारिज की जाती है।“
               डीओई ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसने मामले को समझ लिया है और वह इस मुद्दे की जांच कर रहा है। कई शिकायतों के आधार पर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है और कार्रवाई रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।

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