नजफगढ़/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- दिनांक 13-14 मार्च, 2024 को कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, दिल्ली के द्वारा ’’प्राकृतिक खेती’’ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के परिसर में किया गया। इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने किसानों को रासायनिक खेती के बजाये प्राकृतिक खेती करने पर जोर दिया और किसानों को खेती व पशुओं के प्रबंधन व रखरखाव के बारें में जानकारी दी। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. डी.के. राणा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, उजवा, दिल्ली ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार प्राकृतिक कृषि प्रणाली को प्रोत्साहित कर रही है।
वर्तमान समय में खेती में फसल उत्पादन के लिए अधिकतम रसायनों का प्रयोग हो रहा है, जिससे मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण होने के साथ-साथ फसल उत्पादकता भी कम होने लगी है एवं रसायनों के अधिक प्रयोग से रसायनों का अंश उत्पादों में अधिक मात्रा में आने लगा है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली समय-समय पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करवाता है। कार्यक्रम में डॉ. समर पाल सिंह, विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने बताया कि प्राकृतिक खेती देसी गौ-आधारित खेती है, जिसमें गोबर, गोमूत्र, धी दूध एवं दही आदि प्राकृतिक उत्पाद बनाने में प्रयोग होता हैं।
इसी के साथ प्राकृतिक विधि द्वारा फसल उत्पादन की विभिन्न तकनीकियों के बारे में जानकारी दी एवं प्राकृतिक खेती के प्रमुख अवयवः जीवामृत, पंचगव्य, बीजामृत, धनजीवामृत एवं नीमास्त्र आदि के बनाने की विधियों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई। डॉ. जय प्रकाश, वैज्ञानिक (पशुपालन) ने बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए पशुओं का प्रबंधन एवं उपचार भी प्राकृतिक औषधीय के द्वारा होना चाहिए जैसे पशुओं के चारे में नीम की पत्तियों के प्रयोग से कृमि नाशक का नियंत्रण, थनैला रोग के रोकथाम के लिए हल्दी और देसी धी के मिश्रण का प्रयोग, पशुओं में पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए काली मिर्च, गुड़, लौंग, लहसुन एवं हींग आदि का प्रयोग के साथ साथ किसानों को पशुओं के आहार प्रबंधन एवं रखरखाव की विस्तृत जानकारी दी। श्री कैलाश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने किसानों से प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को समूह बनाना, गुणवत्ता युक्त उपज, प्राकृतिक उत्पाद के विपणन आदि के बारे में अवगत करवाया। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 40 प्रगतिशील किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
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